क्या आपने कभी चखे हैं बुढ़ऊ चाचा के पेड़े? 70 साल में किसी भी ग्राहक ने नहीं किया ऐसा काम
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क्या आपने कभी चखे हैं बुढ़ऊ चाचा के पेड़े? 70 साल में किसी भी ग्राहक ने नहीं किया ऐसा काम

Best Food In Gorakhpur: बुढ़ऊ चाचा के बर्फी का एक टुकड़ा खाने के बाद आपका मन प्रफुल्लित हो जाएगा. यह बर्फी इतनी स्वादिष्ट होती है कि आप इसे एक-दो नहीं बल्कि कई  में ही खा जाएंगे. अगर आप गोरखपुर घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो बुढ़ऊ चाचा के बर्फी को जरूर ट्राई करें.

 

क्या आपने कभी चखे हैं बुढ़ऊ चाचा के पेड़े? 70 साल में किसी भी ग्राहक ने नहीं किया ऐसा काम

Budhau Chacha Ke Peda: गोरखपुर में घूमने के लिए बहुत सी जगहें हैं, जैसे गोरखनाथ मंदिर और विनोद बंद का जंगल. लेकिन अगर आप खाने-पीने के शौकीन हैं, तो आपको बुढ़ऊ चाचा के बर्फी की दुकान जरूर जाना चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह दुकान गोरखनाथ के पास बरगदवा चौराहे पर है. बुढ़ऊ चाचा के बर्फी बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं. बुढ़ऊ चाचा के बर्फी का एक टुकड़ा खाने के बाद आपका मन प्रफुल्लित हो जाएगा. यह बर्फी इतनी स्वादिष्ट होती है कि आप इसे एक-दो नहीं बल्कि कई  में ही खा जाएंगे. अगर आप गोरखपुर घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो बुढ़ऊ चाचा के बर्फी को जरूर ट्राई करें.

गोरखपुर में मशहूर है बुढ़ऊ चाचा की बर्फी

गोरखपुर में बुढ़ऊ चाचा की बर्फी बहुत स्वादिष्ट होती है. बरगदवा चौराहे पर मौजूद इस दुकान की स्थापना 1967 में तिलक चौधरी ने की थी. तब से अब तक दुकान में सिर्फ दूध से बने सामान बेचे जाते हैं. दुकान पर सबसे ज्यादा कस्टमर पेड़े के लिए आते हैं. बुढ़ऊ चाचा की बहू आराधना चौधरी बताती हैं कि पेड़ा उनकी दुकान की पहचान है. इस बर्फी को बनाने के लिए सिर्फ ताज़ा दूध और शुद्ध सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है. इस बर्फी का स्वाद इतना अच्छा होता है कि आप इसे एक बार में ही खा जाएंगे. आराधना के मुताबिक, दुकान में शुरु से लेकर अब सिर्फ और सिर्फ शुद्धता और बेहतर क्वालिटी पर फोकस होता है.

50 किलो से ज्यादा बेच लेते हैं पेड़े

उन्होंने दावा किया कि 70 सालों में आजतक किसी भी ग्राहक ने शिकायत नहीं की और न ही हमने उन्हें शिकायत का एक भी मौका दिया. हमारे यहां रोजाना 500 लीटर दूध आता है और उसी का इस्तेमाल करके दुकान पर खोवा, पेड़ा, पनीर तैयार किया जाता है. चाचा के दुकान पर ग्राहक पेड़े का दाम 600 रुपये किलो है और दुकानदार करीब 50 किलो तक की बिक्री कर लेते हैं. कभी-कभी तो इससे 20-30 किलो ज्यादा तक की कमाई कर लेते हैं. सुबह से लेकर शाम तक सिर्फ पेड़े तैयार किए जाते हैं. लोग दूर-सुदूर से पेड़े खरीदने के लिए आते हैं.

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