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नई दिल्ली: बीयर (Beer) पीने का चलन हजारों साल से है. बीयर बनाने में लगने वाली चीजों, उसे बनाने की प्रक्रिया में अब तक कई प्रयोग हुए. कई ब्रांड आए और गए लेकिन एक चीज कभी नहीं बदली वो है बीयर को रखने वाली बोतल का रंग (Beer Bottle Colour). ब्रांड चाहे कोई भी हो लेकिन बीयर की बोतलों का रंग हमेशा हरा या भूरा ही रहता है. कभी सोचा है कि इसके पीछे की वजह क्या है. आइए जानते हैं बीयर से जुड़ी यह अहम बात.
इतिहास के पन्नों में दर्ज जानकारी के मुताबिक बीयर का इस्तेमाल हजारों साल से हो रहा है. वहीं दुनिया की पहली बीयर कंपनी (First Beer Company) प्राचीन मिस्र में खुली थी. उस समय बीयर को पारदर्शी बोतलों में बंद करके बेचा जाता था लेकिन सूर्य की किरणें पारदर्शी बोतलों (Transparent Bottle) को भेदकर बीयर को खराब कर देती थीं. तेज अल्ट्रा वॉयलेट किरणों (Ultra-violet Rays) के कारण बीयर से बदबू आने लगती थी ऐसे में बहुत नुकसान होता था. तब इस समस्या से निजात पाने के लिए एक उपाय सोचा गया.
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सूर्य की रोशनी के कारण बड़ी मात्रा में बीयर को खराब होते देख बीयर बनाने वालों ने एक आइडिया लगाया. उन्होंने बीयर को ऐसी बोतल में भरने का फैसला किया, जिस पर सूर्य की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों का असर ही न हो. इसके लिए भूरे रंग की बोतलें बढ़िया साबित हुईं. बस, ये तरकीब काम कर गई.
इसके कई साल बाद बीयर की बोतलों को हरे रंग की बोतलों में पैक किया जाने लगा क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भूरे रंग की बोतलें नहीं मिल रहीं थीं. तब बीयर कंपनियों ने हरे रंग की बोतलों (Green Colour Bottle) को चुना क्योंकि इन पर भी सूर्य की तेज किरणें बेअसर होती हैं.