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Success Story: कहते हैं जब कठिनाई आती है तो चारों तरफ से प्रहार करती है और उसमें में अगर आप डटे रहें तो सफलता जरूर मिलती है. कुछ ऐसी ही कहानी है यशोवर्धन शर्मा की, जो जर्मनी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वापस भारत लौटे और यहीं पर अपने करियर को बनाने का फैसला किया. इस दौरान उनकी पत्नी की भी मौत हो गई और टूट गए लेकिन फिर भी वह डटे रहे. अब वह मोहनजोदड़ो नाम की कंपनी को चला रहे हैं.
यशोवर्धन शर्मा ने 2015 भारतीय कारीगरों की कला को ग्लोबल लेवल पर पेश करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था. जर्मनी में इंजीनियरिंग और मास्टर्स की डिग्री पूरी करने के बाद यशोवर्धन ने भारत लौटकर अपने देश की पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया, भले ही उनके पास विदेश में अच्छी नौकरी के कई प्रपोजल थे.
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कैसे शुरू किया अपना करियर?
यशोवर्धन ने दिल्ली में एक छोटे स्टोर के रूप में अपने व्यवसाय की शुरुआत की. उनका उद्देश्य हाई क्वालिटी वाली हैंडमेड प्रोडक्ट्स को उपलब्ध कराना था. आज, मोहनजोदड़ो नाम का ब्रांड कई भारतीय क्षेत्रों के स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए ब्रास, लकड़ी और संगमरमर की कलाकृतियों के लिए एक बड़ा प्लेटफार्म बन चुका है.
किन चुनौतियों का करना पड़ा सामना
यशोवर्धन ने शुरुआत में कई चुनौतियों का सामना किया. बेहतरीन गुणवत्ता के उत्पादों को सोर्स करना एक बड़ी बाधा बन गया. उन्होंने राजस्थान, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश का सफर किया, जहां उन्होंने कारीगरों और शिल्पकारों से जुड़े. इस दौरान उन्हें समय और मेहनत लगानी पड़ी, साथ ही प्रामाणिकता और निरंतरता सुनिश्चित करना भी जरूरी था. एक अन्य चुनौती थी हैंडमेड प्रोडक्ट्स के लिए मार्केट बनाना.
2020 में आई एक समस्या ने यशोवर्धन के लिए सबसे कठिन समय लाया. उन्होंने कोविड-19 के दौरान अपनी पत्नी को खो दिया, जिसके बाद उन्हें अपने गुड़गांव स्थित स्टोर को बंद कर ऑनलाइन बिक्री पर ध्यान देना पड़ा. अपने बच्चों की जिम्मेदारियों और पत्नी के सपनों को जीवित रखने के बीच संतुलन बनाते हुए, यशोवर्धन ने व्यवसाय को एक नई दिशा दी. मोहनजोदड़ो ने कोविड-19 महामारी के दौरान ई-कॉमर्स की ओर तेजी से कदम बढ़ाया और आज नए पड़ाव पर हैं. यशोवर्धन 2021 में वॉलमार्ट वृद्धि प्रोग्राम से जुड़े और बाजार से जुड़े जरूरी कई पहलुओं पर ट्रेनिंग लीं. नतीजतन उन्होंने बिजनेस में 30% की ग्रोथ देखी.