भारत में अनोखी जगह, सुबह उठकर नदी किनारे जाते हैं और शाम को सोना लेकर आते हैं यहां के लोग
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भारत में अनोखी जगह, सुबह उठकर नदी किनारे जाते हैं और शाम को सोना लेकर आते हैं यहां के लोग

स्वर्णरेखा नदी (Swarnarekha River) झारखंड में बहती है. नदी में पानी के साथ सोना बहने की वजह से इसे स्वर्णरेखा (Swarnarekha) के नाम से जाना जाता है. कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां स्थानीय आदिवासी सुबह जाते हैं और दिन भर रेत छानकर सोने के कण इकट्ठा करते हैं.

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Gold River of India: भारत में तमाम नदियां बहती हैं. हर नदी की अपनी कहानी है. आज हम आपको देश में बहने वाली एक ऐसी नदी (Swarnarekha River) के बारे में बताने जा रहे हैं,  जिसमें सदियों से पानी के साथ सोना (Mysterious Gold River) बहता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि सैकड़ों सालों बाद भी वैज्ञानिकों को यह पता नहीं चल पाया है कि इस नदी में सोना (Gold river of india) क्यों बहता है. यानी इस नदी का सोना (Swarna Rekha River in jharkhand) वैज्ञानिकों के लिए अभी भी रहस्य है.

  1. झारखंड राज्य में बहती है स्वर्णरेखा नदी
  2. सोना निकलने की वजह से पड़ा स्वर्णरेखा नाम
  3. रांची से करीब 16 किमी दूर से निकलती है नदी

यह नदी झारखंड राज्य में बहती है. नदी में पानी के साथ सोना बहने की वजह से इसे स्वर्णरेखा नदी के नाम से जाना जाता है. इसे सोने की नदी भी कहा जाता है. झारखंड में कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां स्थानीय आदिवासी इस नदी में सुबह जाते हैं और दिन भर रेत छानकर सोने के कण इकट्ठा करते हैं. इस काम में उनकी कई पीढ़ियां लगी हुई हैं. तमाड़ और सारंडा जैसे इलाके ऐसे हैं जहां पुरुष, महिलाएं और बच्चे सुबह उठकर नदी से सोना इकट्ठा करने जाते हैं.

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दिनभर सोने के कण निकालने का काम करते हैं लोग

आपको लग रहा होगा कि यहां के लोग नदी से सोना इकट्ठा करके बहुत अमीर हो गए होंगे! तो आपको बता दें कि सोने के कण इकट्ठे करना बहुत ही मेहनत का काम है. नदी की रेत से सोना इकट्ठा करने के लिए लोगों को दिनभर मेहनत करनी पड़ती है. आदिवासी परिवार के लोग दिनभर पानी में सोने के कण ढूंढने का काम करते हैं. दिनभर काम करने के बाद आमतौर पर एक व्यक्ति एक या दो सोने के कण ही निकाल पाता है. कई बार तो दिनभर मेहनत करने के बाद एक भी कण नहीं मिलता है.

औसतन एक व्यक्ति महीनेभर में 60 से 80 सोने के कण ही निकाल पाता है. कई बार तो महीने में 30 सोने के कण निकालना भी मुश्किल हो जाता है. ये कण चावल के दाने के बराबर या उससे छोटे भी होते हैं. वह एक कण को बेचकर 80 से 100 रुपए कमाते हैं. इस तरह सोने के कण बेचकर एक शख्स औसतन महीने में 5 से 8 हजार रुपये ही कमाता है. हालांकि बाजार में एक कण की कीमत कई बार 300 रुपये या उससे ज्यादा होती है.

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नदी में कहां से आया सोना?

इस नदी में सोना कहां से आता है? इस बात को लेकर भू-वैज्ञानिकों का मत है कि नदी तमाम चट्टानों से होकर गुजरती है. इन चट्टानों में मिलने वाले सोने के टुकड़े घर्षण की वजह टूटकर इसमें मिल जाते हैं. इसके बाद यह नदी के सहारे बहते हुए आगे चले आते हैं. यह नदी झारखंड से निकलकर पश्चिम बंगाल तथा ओडिशा के कुछ इलाकों में भी बहती है.

स्वर्णरेखा के अलावा कुछ जगहों में नदी 'सुबर्ण रेखा' के नाम से भी जानी जाती है. स्वर्णरेखा नदी का उद्गम रांची से करीब 16 किमी दूर है. इसकी कुल लंबाई 474 किमी है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि स्वर्ण रेखा की एक सहायक नदी ‘करकरी’ की रेत में भी सोने के कण मिलते हैं. जबकि कुछ लोगों का यह भी कहना है कि स्वर्ण रेखा नदी में जो सोने के कण पाए जाते हैं, वह करकरी नदी से बहकर ही आते हैं.

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