Satpal Arora: चित्तौड़गढ़ के 81 वर्षीय सतपाल अरोड़ा ने यह साबित कर दिया है कि शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती. सतपाल अरोड़ा ने अपने जीवन के इस पड़ाव पर भी अपने जुनून को नहीं थमने दिया और एलएलबी की पढ़ाई शुरू की.
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Satpal Arora: कहते हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती. आप कभी भी, किसी भी उम्र में पढ़ाई शुरू कर सकते हैं या उसे जारी रख सकते हैं. चाहे आप 5 साल के बच्चे हों या 80 साल के वृद्ध, ज्ञान प्राप्ति का रास्ता कभी बंद नहीं होता. शिक्षा का सफर किसी समय सीमा में बंधा नहीं होता, और यह जीवनभर जारी रह सकता है. जैसे 81 वर्षीय सतपाल अरोड़ा ने अपने जीवन में यह साबित किया, शिक्षा से उम्र का कोई संबंध नहीं होता. उनका यह कदम हमें यह सिखाता है कि सीखने की राह हमेशा खुली होती है, बस हमें उसकी ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है.
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40 साल बाद फिर से कॉलेज की चौखट पहुंचे सतपाल अरोड़ा
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ शहर के प्रतापगढ़ निवासी 81 वर्षीय सतपाल अरोड़ा ने यह साबित कर दिया है कि शिक्षा की कोई उम्र नहीं होती. उन्होंने लॉ कॉलेज में एलएलबी प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया और अब नई पीढ़ी के विद्यार्थियों के साथ पढ़ाई का सफर शुरू किया है. 40 साल बाद फिर से कॉलेज की चौखट पर कदम रखने वाले अरोड़ा ने एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब लॉ की डिग्री लेने का लक्ष्य तय किया है. उन्होंने लॉ करने का विचार अपने परिचित और एमएलवी कॉलेज के लेक्चरर से चर्चा के बाद बनाया. अरोड़ा का यह कदम न केवल उनकी शिक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि किसी भी उम्र में नई चीजें सीखने और हासिल करने का अवसर हमेशा होता है। उनका यह कदम प्रेरणादायक है और हमें यह सिखाता है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, अगर आपमें कुछ हासिल करने की इच्छा हो तो कुछ भी असंभव नहीं.
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एलएलबी के बाद वह पीएचडी करने का भी सपना
सतपाल अरोड़ा का कहना है कि उन्हें हमेशा से कानून की पढ़ाई करने का मन था, लेकिन बीए में कम नंबरों के कारण उन्हें पहले दाखिला नहीं मिल पाया. उन्होंने एमए की पढ़ाई पूरी की और फिर एलएलबी में दाखिला लिया. उन्होंने बताया कि जीने के लिए हमें हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए. एलएलबी के बाद वह पीएचडी करने का भी सपना हैं.
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प्रेरणा के स्त्रोत बने सतपाल अरोड़ा
अपने दोनों बेटों के साथ खुशहाल पारिवारिक जीवन जीने वाले अरोड़ा ने अपने जुनून और मेहनत से यह संदेश दिया है कि किसी भी उम्र में शिक्षा को अपनाकर नई दिशा पाई जा सकती है. उनका यह सफर यह साबित करता है कि शिक्षा सिर्फ युवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि किसी भी उम्र में इसे हासिल किया जा सकता है. अरोड़ा का यह प्रेरणादायक कदम हर व्यक्ति को यह प्रेरणा देता है कि कभी भी नई शुरुआत की जा सकती है, बशर्ते उसमें इच्छाशक्ति और समर्पण हो. उनका जीवन एक उदाहरण है कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता.