पेड़ पर कुल्हाड़ी मारते ही तेज धार में निकलने लगा पानी, Video ने सोचने पर किया मजबूर
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पेड़ पर कुल्हाड़ी मारते ही तेज धार में निकलने लगा पानी, Video ने सोचने पर किया मजबूर

Alluri Sitharama Raju: आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में वन विभाग के अधिकारियों ने एक भारतीय सहिजन (Indian Laurel) के पेड़ की छाल काटी. पेड़ से तेज धार में पानी निकलने लगा जिसे देखकर सब हैरान रह गए. 

 

पेड़ पर कुल्हाड़ी मारते ही तेज धार में निकलने लगा पानी, Video ने सोचने पर किया मजबूर

Viral Video: आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में वन विभाग के अधिकारियों ने एक भारतीय सहिजन (Indian Laurel) के पेड़ की छाल काटी. पेड़ से तेज धार में पानी निकलने लगा जिसे देखकर सब हैरान रह गए. पेड़ से पानी इतनी तेजी से निकल रहा है, जैसे कि किसी ने अंदर टंकी लगा रखी हो. इसके पीछे की वजह जानने के लिए लोग परेशान हो गए. स्थानीय गांव के लोग सोचने पर मजबूर हो गए कि आखिर यह कैसे हुआ. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. दरअसल, वन विभाग के अधिकारियों ने ये जानने के लिए पेड़ की छाल काटी कि गर्मियों में पेड़ पानी कैसे जमा कर लेता है. ये वाकया पापिकोंडा राष्ट्रीय उद्यान में हुआ.

पेड़ पर कुल्हाड़ी मारने पर निकला पानी

ये जानकारी वन विभाग को कोंडा रेड्डी जनजाति के लोगों ने बताई थी. ये जनजाति गोदावरी इलाके की पापिकोंडा पहाड़ियों में रहती है और पेड़-पौधों के बारे में पुराने जमाने का बहुत ज्ञान रखती है. इस खास पेड़ का वैज्ञानिक नाम फिकस माइक्रोकार्पा (Ficus microcarpa) है. ये एक उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय पेड़ है जो मुख्य रूप से एशिया के कई हिस्सों, पश्चिमी प्रशांत द्वीप समूह और ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है. ये पेड़ सजावटी पेड़ के तौर पर भी लोकप्रिय है. इसकी पत्तियां घनी और चमकदार हरे रंग की होती हैं. इसकी छाल चिकनी और हल्के भूरे रंग की होती है.

 

 

पेड़ की घनी पत्तियां पर चिड़ियों के लिए अच्छा घर

इस पेड़ की घनी पत्तियां कई तरह के चिड़ियों के लिए अच्छा घर बनाती हैं और इसके छोटे-छोटे अंजीर फल चिड़ियों का खाना बनते हैं. गौर करने वाली बात ये है कि जिस वक्त आंध्र प्रदेश और उसके पड़ोसी कर्नाटक (जहां राजधानी बेंगलुरु पानी की कमी से जूझ रहा है) समेत कई इलाकों में पानी की कमी है, उसी वक्त इस पेड़ से पानी निकलने की खबर आई है. आंध्र प्रदेश में इस साल जलाशयों में पानी का भंडार बहुत कम हो गया है. पिछले साल जलाशयों में 66% पानी भरा हुआ था, वहीं इस साल सिर्फ 22% पानी बचा है. आंध्र प्रदेश में पानी की कमी सबसे ज्यादा चिंताजनक है, वहां जलाशयों में पानी का स्तर पिछले 10 सालों के औसत से 49% कम है.

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