पूर्वी लद्दाख में पिछले साल शुरू हुई सैन्य तनातनी के बाद चीन (China) लगातार नई-नई खुराफातें करने में लगा हुआ है. अब चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के 15 स्थानों के नाम बदल दिए हैं.
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बीजिंग: पूर्वी लद्दाख में पिछले साल शुरू हुई सैन्य तनातनी के बाद चीन (China) लगातार नई-नई खुराफातें करने में लगा हुआ है. अब चीन की शी जिनपिंग सरकार ने नई खुराफात करते हुए चीन के नक्शे में अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के 15 स्थानों के नाम बदल दिए हैं. चीन ने यह हरकत तब की है, जब चीन नए साल से अपना नया सीमा कानून लागू करने जा रहा है.
चीन (China) के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि उनके पास अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में 15 स्थानों के लिए 'मानकीकृत' नाम हैं, जिनका उपयोग चीनी मानचित्रों पर किया जाएगा. यह दूसरी बार है, जब चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नाम बदले हैं. इससे पहले चीन ने वर्ष 2017 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश के 6 स्थानों के नाम बदल दिए थे.
बता दें कि चीन (China) ने इसी साल 23 अक्टूबर को 'देश के भूमि सीमा क्षेत्रों के संरक्षण और शोषण' का हवाला देते हुए एक नया कानून पारित किया है. चीन इस कानून को 1 जनवरी 2022 से लागू करने जा रहा है. चीन का यह कानून हालांकि केवल भारत पर केंद्रित नहीं है. उसके इस कानून का असर भारत समेत चीन के साथ सीमा साझा करने वाले सभी देशों पर पड़ेगा.
चीन (China) अपने पड़ोसी देशों भारत, रूस, मंगोलिया, अफगानिस्तान समेत 14 देशों के साथ करीब 22,457 किमी सीमा सीमा साझा करता है.
चीन (China) के नए सीमा कानून में 62 अनुच्छेद और 7 अध्याय हैं. उस कानून के अनुसार, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना यानी चीन अपनी सभी भूमि सीमाओं पर सीमा को स्पष्ट रूप से चिह्नित करने के लिए सीमा चिह्न स्थापित करेगा. कानून में आगे कहा गया है कि चीन की सेना यानी PLA और चीनी पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स सीमा पर सुरक्षा बनाए रखेंगी. इन जिम्मेदारियों में सीमा के अतिक्रमण से निपटने में स्थानीय अधिकारियों के साथ सहयोग करना भी शामिल है.
चीन (China) का यह कानून किसी भी पक्ष को सीमा क्षेत्र में ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से रोकता है, जो 'राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है या पड़ोसी देशों के साथ चीन के मैत्रीपूर्ण संबंधों को प्रभावित कर सकता है'. इसमें संबंधित प्राधिकरण से मंजूरी के बिना किसी भी व्यक्ति की ओर से स्थाई भवन के निर्माण को लेकर भी प्रावधान शामिल किए गए हैं.
चीनी (China) सरकार का दावा है कि यह कानून सीमावर्ती क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है. इस कानून में कहा गया है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना 'चीन के समुदाय की भावना को मजबूत करने, चीन की भावना को बढ़ावा देने, देश की एकता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने, देश और मातृभूमि की नागरिकों की भावना को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस कानून में सीमावर्ती इलाकों में नागरिकों को बसाने का सुझाव भी दिया गया है.
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भारत के साथ सीमा विवाद के बीच यह कानून अमल में लाया जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए चीन एड़ी-चोटी का जोर लगा सकता है.
भारत का कहना है कि चीन पूर्वी लद्दाख की सीमा से लगे अक्साई चिन में भारत के लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध रूप से कब्जा किए बैठा है. वहीं पाकिस्तान की ओर से 1963 में चीन को तोहफे के रूप में सौंपी गई PoK की लगभग 5,180 वर्ग किमी जमीन भी चीन के कब्जे में है. दोनों देशों की सेनाएं पिछले 20 महीनों से सरहद पर आमने-सामने हैं और मामले को निपटाने के लिए सैन्य बातचीत जारी है.
(इनपुट IANS)
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