चीन ने सीमा पर तैनात किया H-6K बॉम्बर और UAV जेट डिवाइन ईगल, भारत की बढ़ी चिंता
रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने तिब्बत के होपिंग एयरफील्ड पर पक्के हैंगर्स बना लिये हैं जिससे दुश्मन देश के हवाई हमले के दौरान भी चीनी सेना अपने H-6K बॉम्बर के साथ-साथ जेट की सुरक्षा कर सके.
Trending Photos
)
डोकलाम: डोकलाम पर भारत और चीन के बीच शुरु हुआ विवाद भले ही अब थम गया हो लेकिन जिस तरह चीन लगातार भारत से सटे अपने इलाके में रक्षा तैयारियों को मजबूत करने में लगा हुआ है उसने भारत की सुरक्षा चिंता को बढ़ा दिया है. चीन बेहद गुपचुप तरीके से खतरनाक हथियारों और मिसाईलों की तैनाती भारतीय सीमा के नजदीक करने में लगा हुआ है. सुरक्षा एजेंसियों की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि चीन ने जिनजियांग (Xinjiang) इलाके के मलान (Malan) एयरबेस पर डिवाईन ईगल जेट यूएवी की तैनाती कर दी है. डिवाईन ईगल जेट चीन का सबसे बड़ा अनमैन्ड एरियल व्हिकल (यूएवी) है. यही नहीं चीन ने इसके साथ साथ H-6K बॉम्बर की भी तैनाती की है जो दुश्मन देश पर बमबारी करने में सक्षम है.
ज़ी न्यूज को मिली जानकारी के मुताबिक डिवाईन ईगल जेट यूएवी की लंबाई करीब 15 मीटर है और इसके विंग्स की लंबाई 35-45 मीटर तक है. जो अपने साथ 15 टन तक का सामान लेकर जा सकता है और यही वजह है कि इसे दुनिया का सबसे बड़ा यूएवी कहा जाता है. वहीं, H-6K बॉम्बर के जरिये चीन काफी दूर तक दुश्मन के इलाके में दाखिल होकर बड़ी कारवाई कर सकता है. H-6K बॉम्बर के बारे में चीनी मीडिया का दावा है कि ये अमेरिका के युद्धक बेड़े पर भी हमला करने में सक्षम है.
अप्रैल महीने में खुफिया एजेंसियों की ऐसी ही एक रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ था कि चीन ने सिक्कम से महज 200 किलोमीटर की दूरी पर तिब्बत के होपिंग (Hoping) एयरफिल्ड पर H-6K बॉम्बर की तैनाती की है और अब मलान एयरफिल्ड पर लांग रेंज तक मार करने वाले हथियारों की तैनाती ने सुरक्षा एजेंसियों को चिंता में डाल दिया है. रक्षा मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक, ''भारत चीन से बेहतर संबध चाहता है और डोकलाम विवाद के बाद से दोनों देश आपसी मतभेद को दूर करने की कोशिशों में लगे हुए हैं जिससे शांति बनी रहे. लेकिन जिस तरह से तिब्बत से लेकर जिनजिंयांग में चीन रक्षा तैयारियों को मजबूत करने में लगा हुआ है उस पर हमारी नज़र बनी हुई है.''
रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बत के होपिंग एयरफिल्ड को चीनी सेना ने अपने कंट्रोल में ले लिया है और इसे वेस्टर्न थियेटर कमांड में शामिल कर लिया गया है. मलान और होपिंग एयरफिल्ड में लगातार फाइटर प्लेन और यूएवी की संख्या चीन बढ़ाने में लगा हुआ है. चीन का दावा है कि वो हमले की सूरत में अमेरिका के स्टील्थ फाईटर प्लेन को भी आसानी से इंटरसेप्ट कर सकता है. वहीं, डोकलाम जैसे विवाद होने की स्थित में चीन तेजी से भारतीय सेना के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. होपिंग एयरफिल्ड को अपग्रेड करने के साथ-साथ चीन ने भारतीय सीमा के नजदीक 155 एमएम की हॉवित्जर गन की भी तैनाती कर दी है. जो 50 किलोमीटर दूर तक हमले कर सकता है. चीनी सेना पहले के मुकाबले अपनी तैयारियों को और भी ज्यादा मजबूत कर चुकी है.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने तिब्बत के होपिंग एयरफील्ड पर पक्के हैंगर्स बना लिये हैं जिससे दुश्मन देश के हवाई हमले के दौरान भी चीनी सेना अपने H-6K बॉम्बर के साथ-साथ जेट की सुरक्षा कर सके. चीन ने अरूणाचल प्रदेश से करीब 900 किलोमीटर दूर युक्सी में सीक्रेट गाइडेड मिसाइल यूनिट भी बनाई है. चीनी सेना के साउथर्न थिएटर कमांड के तहत आने वाले युनान प्रोविंस के युक्सी का रणनीतिक तौर पर काफी महत्व है. ख़ुफ़िया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने युक्सी में '622 मिसाइल ब्रिगेड' को तैनात किया है, जो गाइडेड मिसाइलो से लैस हैं. चीन इस नए बेस पर लम्बी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल्स को तैनात कर रहा है. देखा जाये तो भारत के खिलाफ चीन अपने वेस्टर्न थिएटर कमांड को पहले से ही काफी मजबूत कर चूका है और अब साउथर्न थिएटर कमांड में नयी मिसाइल ब्रिगेड की जानकारी सामने आने के बाद भारतीय एजेंसीज इस नए डेवलपमेंट पर लगातार नज़र रख रही है.
देखा जाए तो साउथर्न थिएटर कमांड के दायरे में चीन का साउथ चीन सी फ्लीट, ग्वांगडोंग, गुंग्क्सी, हुनान और युनान आता है. रक्षा जानकार चीन के इस नए आर्डर ऑफ़ बैटल को समझने में लगे हुए है. आर्डर ऑफ़ बैटल का मकसद ये होता है कि युद्ध के दौरान दुश्मन देश की सेना किस तरह से अपने रक्षा संसधानो का इस्तेमाल करती है.
पीपल लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स यानि (पीएलए राकेट फोर्स) की 622 मिसाइल ब्रिग्रेड के बारे में ख़ुफ़िया एजेंसीज जानकारी इकट्ठा करने में लगी हुई है. चीन के पास अलग अलग रेंज तक मार करने वाली मिसाइल्स है जो 250 किलोमीटर से लेकर हजारों किलोमीटर दूर तक किसी भी टारगेट को तबाह कर सकती हैं. हालांकि भारत भी लगातार अपने मिसाइल प्रोग्राम को मजबूत करने में लगा हुआ है. भारत अपनी अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली अग्नि-5 को सेना में शामिल करने में लगा हुआ है. अग्नि-5 मिसाइल्स चीन के किसी भी इलाके के लक्ष्य को भेद सकती है. अग्नि की सबसे खास बात ये है की ये अपने साथ परमाणु हथियारों को भी ले जा सकती हैं. इसके साथ ही ब्रह्मोस मिसाइल्स को भी सीमा से सटे इलाकों में तैनात किया जा रहा है जिसने चीन की चिंता बढ़ा दी है.