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बीजिंग: भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के संगठन क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग (QUAD) की कल होने वाली बैठक को लेकर चीन बेचैन है. पहली बार चारों देशों के प्रमुख बैठक में हिस्सा ले रहे हैं, इसलिए चीन की धड़कनें बढ़ी हुईं हैं. बीजिंग ने उम्मीद जताई कि चारों देश ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को प्रभावित करे. बता दें कि चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden), ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) और जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा (Yoshihide Suga) 12 मार्च को ऑनलाइन होने वाली इस बैठक में ड्रैगन के खिलाफ किसी प्रभावी रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं.
भारत से सीमा विवाद (Border Dispute) और कोरोना (Coronavirus) महामारी के बाद से चीन (China) के प्रति दुनिया का नजरिया बदल गया है. खासतौर पर क्वाड में शामिल सभी देशों से उसके रिश्ते बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. ऐसे में चारों देशों के प्रमुखों का एक साथ मिलना उसे किसी खतरे की तरह नजर आ रहा है. यही वजह है कि बैठक से ठीक पहले वह शांति की बातें कर रहा है. क्वाड नेताओं के पहले सम्मेलन के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान (Zhao Lijian) ने कहा कि चीन को लगता है कि किसी भी क्षेत्रीय सहयोग ढांचे को शांतिपूर्ण विकास और लाभकारी सहयोग के सिद्धांत का पालन करना चाहिए, जो मौजूदा समय की प्रवृत्ति है.
झाओ लिजियान ने आगे कहा, 'हमें उम्मीद है कि संबंधित देश इस बात को ध्यान में रखेंगे कि क्षेत्रीय देशों के समान हितों में खुलेपन, समावेशीकरण और लाभकारी सहयोग के सिद्धांतों को बरकरार रखा जाए और ऐसी चीजें की जाएं जो विरोधाभासी होने के बजाय क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए हितकारी हों’. क्वाड देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने का संकल्प जताया है. सभी चीन की बढ़ती दादागिरी और विस्तारवादी आदतों से परेशान हैं. जापान के साथ भी उसका विवाद काफी बढ़ गया है.
बैठक में चीन सहित कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. संगठन के नेता कोरोना महामारी को हराने के लिए हो रही कोशिशों पर चर्चा करेंगे. इसी के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षित, समान वितरण और किफायती टीका सुनिश्चित करने में सहयोग के अवसरों का पता लगाया जाएगा. वर्तमान चुनौतियों जैसे सप्लाई चेन, अहम टेक्नॉलजी, समुद्री सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर भी विचारों का आदान-प्रदान होगा. गौरतलब है कि चीन क्वाड को संदिग्ध रूप से देखता है और इसे एशियाई नाटो पुकारता है. दरअसल, चीन को लगता है कि इस ग्रुप के जरिये भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान उसके खिलाफ साजिश रच रहे हैं.