Indian agenda for G20: सम्मेलन के दौरान चीन को इस बात का फैसला करना होगा कि वो भारत के साथ किस प्रकार का रुख अपनाता है. उसे तय करना होगा कि वो भारतीय दृष्टिकोण का समर्थन करेगा या नहीं.
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India in G20 summit: भारत एक दिसंबर को जी20 समूह की अध्यक्षता संभालेगा. जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत के लिए चीन से निपटना एक बड़ी चुनौती होगी. पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) पंकज सरन ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि भारत को अपने पड़ोसी देश चीन के साथ सर्तक होकर रिएक्ट करना होगा. उसका आकलन उसके शब्दों से नहीं बल्कि उसके कामों से करना होगा. भारत हमेशा ये ही चाहेगा कि चीन उसे एक उभरती हुई शक्ति के रूप में जाने और पहचाने, साथ ही इसी के आधार पर वो देश के साथ व्यवहार करे.
सरन ने कहा कि जी20 सम्मेलन की अध्यक्षता के दौरान भारत की प्राथमिकता ऐसी आर्थिक व्यवस्था को बहाल करने की होनी चाहिए जिससे अर्थव्यवस्था के विकास के लिए रास्ते खुलें. भारत के लिए जी20 में अध्यक्षता करते हुए विकासशील देशों के लिए एनर्जी सिक्योरिटी, फूड सिक्योरिटी और क्लाइमेट सिक्योरिटी जैसे मुद्दों से निपटने की प्राथमिकता होगी. हालांकि, यहां पर भारत इस बात पर जरूर ध्यान देगा कि उसकी बातों को और नजरिए को जी20 के मंच पर किस तरह शामिल किया जा सकता है.
विकसित देश जी20 का हथियार के रूप में कर रहे इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि इस संगठन का प्रमुख एजेंडा आर्थिक स्तर पर विकास है लेकिन विकसित देश ने इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. सरन ने कहा, वैश्विक मंच पर भारत का दबदबा बढ़ रहा है और इसके उदाहरण के तौर पर बाली में जी20 सम्मेलन में अपनाए गए सूत्र वाक्य को देखा जा सकता है जिसमें भारत ने कहा था कि आज का युग युद्ध का युग नहीं है. यूक्रेन युद्ध के नजरिए से पीएम मोदी का यह सूत्र वाक्य रूसी राष्ट्रपति पुतिन को दिए मैसेज पर आधारित है.
उन्होंने बताया कि जी20 जैसा पावरफुल ग्रुप भारत के नजरिए को मान्यता दे रहा है ये दुर्लभ है. भारत ने अपनी भूमिका के दम पर जी20 को इस मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए तैयार किया.
चीन के पास विकल्प नहीं
सम्मेलन में चीन के साथ कैसे बनेगा संतुलन, इस पर सरन ने कहा कि भारत के साथ-साथ चीन के लिए भी ये बड़ी चुनौती होगी कि वो चीन के समक्ष किस प्रकार के व्यवहार का चयन करता है. क्योंकि भारत के जी20 की अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान होने के बाद उसके पास विकल्प नहीं होंगे. इसमें सिर्फ शिखर सम्मेलन नहीं बल्कि कई मीटिंग्स भी होंगी.
सम्मेलन के दौरान चीन को इस बात का फैसला करना होगा कि वो भारत के साथ किस प्रकार का रुख अपनाता है. उसे तय करना होगा कि वो भारतीय दृष्टिकोण का समर्थन करेगा या नहीं.
उन्होंने बताया कि जब तक चीन अपनी कथनी और करनी में बदलाव नहीं करता वो भारत का सम्मान नहीं करेगा. उसे भारतीय संप्रभुता, अखंडता का सम्मान करना होगा और बॉर्डर पर शांति संबंधी समझौतों का पालन करना होगा. उसे सीमा पर 2020 से पहले की स्थिति को बहाल करना होगा.
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