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Asia's biggest Naval Base: दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में अपना दावा मजबूत कर चुके चीन की निगाहें हिंद महासागर (Indian Ocean), बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) और अरब सागर (Arabian Sea) पर भी हैं. अपनी समुद्री सीमा के नजदीक ड्रैगन की बढ़ती घुसपैठ से भारतीय नौसेना (Indian Navy) भी अलर्ट पर है. यही वजह है कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार एशिया का सबसे बड़ा नौसैनिक अड्डा (Naval Base) बनवा रही है.
चीनी नौसेना के जंगी बेड़े अफ्रीका के जिबूती से लेकर दक्षिण चीन सागर तक गश्त करते हैं. चीन, म्यांमार के रास्ते बंगाल की खाड़ी तक पहुंच बना रहा है. बीजिंग की नौसेना अरब सागर (Arabian Sea) में फारस की खाड़ी और अदन की खाड़ी पर भी दबदबा बनाने की है. चीन मलक्का स्ट्रेट के उस प्वाइंट को खत्म करना चाहता है जहां भारतीय नौसेना (Indian Navy) अपने सहयोगी देशों के साथ मजबूत स्थिति में हैं.
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भारत भी समुद्री महाशक्ति बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. चीन और पाकिस्तान की दोहरी चुनौती के बीच भारतीय नौसेना अपने पश्चिमी तट पर स्थित कारवार में एशिया का सबसे बड़ा नेवल बेस बना रही है. 11000 एकड़ में फैला कारवार बेस के जरिए भारतीय नौसेना के जंगी बेड़ों (Warship) को रसद समेत किसी भी तरह की मदद पहुंचाने के साथ उनका मेंटिनेस भी किया जा सकेगा. इस बेस पर कई विमानवाहक पोत, 30 युद्धपोत और सबमरीन तैनात की जाएंगी. इस बेस पर आईएनएस विक्रांत को भी तैनात किया जाएगा.
दो दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने इस नेवल बेस का दौरा करके उसके निर्माण कार्य की समीक्षा की. इस नेवल बेस पर एयरबेस भी बनाया जा रहा है ताकि यहां एयरफोर्स के फाइटर जेट भी आसानी से उतर सकें. यहां पर तैनात जवानों का उत्साह बढ़ाने के लिए उन्होंने नौसेना के जवानों के साथ योग का अभ्यास भी किया था. उन्होंने पनडुब्बी में सवार होकर देश की समुद्री सीमा का बारीकी से निरीक्षण भी किया.
बताते चलें कि हाल ही में भारतीय नौसेना के प्रमुख ने कहा था कि भारतीय नौसेना चीन की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है. विस्तारवादी चीन दुनिया के कई देशों को कर्ज के जाल में फंसा चुका है. पाकिस्तान, नेपाल, मालदीव और श्रीलंका की सरहद पर चीन की बुरी निगाह पहले से रही है. चीन फिलहाल श्रीलंका के हंबनटोटा, मालदीव के मराओ और बांग्लादेश के चटगांव पोर्ट का नियंत्रण अपने कब्जे में लेने की फिराक में है.
हिंद महासागर का इलाका तेल, खनिज, मछली जैसे संसाधनों से भरपूर है. दुनिया भर के कारोबार का बड़ा हिस्सा इसी समुद्री रास्ते से होकर गुजरता है. भारत के आर्थिक विकास के लिए भी ये जरूरी है कि ब्लू इकॉनमी में तेजी आए. ऐसे में भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत सरकार इस कारवार नेवल बेस का निर्माण कर रही है.