Pakistan Army: टैंक नहीं ट्रैक्टर, जमींदार बन गई पाकिस्तानी आर्मी
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Pakistan Army: टैंक नहीं ट्रैक्टर, जमींदार बन गई पाकिस्तानी आर्मी

Pakistan Army became Farmer: पाकिस्तान में कुछ अजीब ही हो रहा है. पाकिस्तान सेना अब खेती करने वाली है. यानी अब पाकिस्तान की सेना टैंक छोड़कर ट्रैक्टर चलाएगी.

Pakistan Army: टैंक नहीं ट्रैक्टर, जमींदार बन गई पाकिस्तानी आर्मी

Pakistan Army transforms into Farmers: किसी भी देश की सेना का काम देश की सुरक्षा करना होता है. लेकिन, पाकिस्तान में कुछ अजीब ही हो रहा है. पाकिस्तान सेना अब खेती करने वाली है. यानी अब पाकिस्तान की सेना टैंक छोड़कर ट्रैक्टर चलाएगी. दरअसल, आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लोग दाने-दाने को मोहताज हैं. पाकिस्तान के लोगों को लगातार खाद्य संकट का सामना करना पड़ रहा है. इसके बाद पाकिस्तान आर्मी ने मोर्चा अपने हाथ में लिया है और अपना ध्यान अर्थव्यवस्था और खेती की ओर लगाया है. लेकिन, इस फैसले के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं.

हंगर इंडेक्स में 102वें नंबर पर पाकिस्तान

2023 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार, पाकिस्तान 125 देशों में से 102वें स्थान पर है. पाकिस्तान के भूख के स्तर को 'गंभीर' के रूप में वर्गीकृत किया गया है. हालांकि, देश वर्तमान में खाद्य-सक्षम है, लेकिन यह खाद्य-सुरक्षित नहीं है. मुद्रास्फीति और गरीबी की दर में वृद्धि हुई है, जिससे आम जनता आटे जैसी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरस रही है. हजारों लोग सरकारी वितरण केंद्रों पर इकट्ठा होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर भगदड़ और हताहत होते हैं.

पाकिस्तान सेना बंजर भूमि पर कैसे करेगी खेती?

खाद्य उत्पादन में तेजी से वृद्धि करने और पाकिस्तान को स्वावलंबी बनाने के लिए कार्यवाहक सरकार ने सेना को खेती के लिए लाखों एकड़ भूमि आवंटित करने पर सहमति व्यक्त की है. इस साल सितंबर में, पाकिस्तान के पंजाब में सेना को 30 सालों के लिए 4 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन लीज पर देने का समझौता किया गया था. इसके अतिरिक्त, खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के दक्षिण वजीरिस्तान में 17 हजार हेक्टेयर से अधिक जमीन पर खेती करने के लिए सेना को अनुमति देने के लिए एक और समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.

हालांकि, इसके बाद सवाल उठने लगा है कि साउथ वजीरिस्तान में सेना को दी गई जमीन काफी जटिल पहाड़ियों के बीच है. चोटियों पर ऊबड़-खाबड़ वाला इलाका, भीषण गर्मी और सिंचाई की कोई व्यवस्था होने की वजह से सेना को बड़े पैमाने पर सवाल उठ रहे हैं. इसके साथ ही अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में वापस आने के बाद से क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधि में वृद्धि हुई है.

पाकिस्तान में सेना बन गई सबसे बड़ी जमींदार

आलोचकों का कहना है कि इस भूमि हस्तांतरण से सेना पाकिस्तान की सबसे बड़ी जमींदार बन सकती है. इससे बाहरी खतरों से बचाने की अपनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से ध्यान हट जाएगा. साथ ही, इन खेतों के संचालन में पारदर्शिता का अभाव है, जिससे लोग लाभ वितरण को लेकर भ्रमित हैं. कुछ रिपोर्ट कहती हैं कि इससे सेना को कोई लाभ नहीं होगा. लीक हुए सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, लाभ का 20 प्रतिशत कृषि अनुसंधान और विकास के लिए दिया जाएगा. बाकी धन राज्य सरकार और सेना के बीच समान रूप से बांटा जाएगा.

योजना के समर्थकों का मानना है कि इससे फसल पैदावार और जल संरक्षण में सुधार होगा, जिससे पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार घटेगा और वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी. जमीन सेना को दिए जाने के बाद देश के 25 मिलियन ग्रामीण भूमिहीन गरीब लोगों को हाशिए पर जाने की आशंका है. कृषि में सेना का कदम उसकी भूमिका और जिम्मेदारियों में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है, क्योंकि यह पाकिस्तान को जकड़ने वाले खाद्य संकट से निपटने का प्रयास करती है. हालांकि, इस फैसले का क्या असर होगा. यह आने वाला वक्त ही बताएगा कि इससे खाद्य सुरक्षा होगी या मौजूदा असमानताओं को और बढ़ाएगी.

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