Pakistan Politics: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बड़ा बयान, कहा – ‘अक्टूबर में ही होंगे चुनाव, नहीं होगी कोई देरी’
Advertisement
trendingNow11726359

Pakistan Politics: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बड़ा बयान, कहा – ‘अक्टूबर में ही होंगे चुनाव, नहीं होगी कोई देरी’

Pakistan News: पीटीआई ने इस साल जनवरी में पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा विधानसभाओं को भंग कर दिया था. उसे उम्मीद थी कि य ह कदम सत्तारूढ़ गठबंधन को अन्य विधानसभाओं को भी भंग करने और 90 दिन की अवधि के भीतर चुनाव कराने के लिए मजबूर करेगा.

Pakistan Politics: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बड़ा बयान, कहा – ‘अक्टूबर में ही होंगे चुनाव, नहीं होगी कोई देरी’

Pakistan Election: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चुनावों में संभावित देरी की अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि राष्ट्रीय और प्रांतीय विधायिकाओं के लिए चुनाव इस साल अक्टूबर में होंगे. मीडिया रिपोर्टों में यह बात कही गई है.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, आसिफ ने कहा, ‘विधानसभाओं का पांच साल का कार्यकाल अगस्त में पूरा हो रहा है, और अगले 60 दिन के भीतर चुनाव होंगे. चुनाव समय पर होंगे.’ जब उनसे पूछा गया कि समय पर से उनका क्या मतलब है, तो उन्होंने जवाब दिया: अक्टूबर में. चुनाव बिना किसी देरी के अक्टूबर में होंगे.

पीटीआई का प्लान नहीं हुआ कामयाब
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने इस साल जनवरी में पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा विधानसभाओं को इस उम्मीद में भंग कर दिया था कि यह कदम सत्तारूढ़ गठबंधन को अन्य विधानसभाओं को भी भंग करने और 90 दिन की अवधि के भीतर चुनाव कराने के लिए मजबूर करेगा. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ.

सरकार ने सुरक्षा, धन और नए जनगणना परिणामों की कमी का हवाला देते हुए बार-बार स्नैप चुनाव कराने या राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए अलग-अलग चुनाव कराने का विरोध किया है. इससे पहले पीटीआई ने आशंका जताई थी कि हो सकता है कि सरकार अक्टूबर में भी चुनाव न कराए.

पीपीपी ने भी उठाया था यह मुद्दा
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने भी, जो सत्तारूढ़ गठबंधन का एक हिस्सा है, समय पर चुनाव कराने के बारे में सत्तारूढ़ गठबंधन में अन्य दलों को मनाने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था. पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने तो यहां तक कह दिया था कि आम चुनावों को अक्टूबर के बाद टालना 'मूर्खतापूर्ण' होगा.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, राजनयिकों और विदेशी प्रतिनिधिमंडलों द्वारा अपनी आधिकारिक बैठकों और सरकारी अधिकारियों के साथ सामाजिक समारोहों में अक्सर चुनाव के समय के बारे में पूछताछ शुरू करने के बाद पीपीपी हरकत में आ गई थी, क्योंकि अर्थव्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता समय पर चुनाव पर निर्भर करती है.

(इनपुट - एजेंसी)

Trending news