Pakistan News: पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (पीआईडीई) के वरिष्ठ शोध अर्थशास्त्री डॉ. फहीम जहांगीर खान ने यह दावा किया है. उन्होंने युवाओं के मुद्दों पर चर्चा करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
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Pakistan Economy: आर्थिक संकट की मार झेल है पाकिस्तान में अब युवा रहना नहीं चाहते हैं. ज्यादातर युवा बेहतर अवसरों की तलाश में देश छोड़ना चाहते हैं. पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (पीआईडीई) के वरिष्ठ शोध अर्थशास्त्री डॉ. फहीम जहांगीर खान ने कहा कि पाकिस्तान में 31 प्रतिशत शिक्षित युवा बिना नौकरी के है.
द डॉन के मुताबिक डॉ. फहीम जहांगीर खान ने कहा कि 67 प्रतिशत युवा विदेशों में बेहतर अवसरों की तलाश में नकदी की कमी वाले देश को छोड़ना चाहते हैं.
खान ने इकोनफेस्ट नामक दो दिवसीय फेस्टिवल में यह बयान दिया. यह फेस्टिवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर बहस और चर्चा के लिए आयोजित किया गया था, जो पिछले कुछ महीनों से गंभीर संकट की स्थिति देख रही है.
'डिग्री रोजगार की गारंटी नहीं'
इस कार्यक्रम में बोलते हुए, अर्थशास्त्री ने युवाओं के मुद्दों पर चर्चा करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाले देश में 200 से अधिक विश्वविद्यालय काम कर रहे हैं, जो हजारों छात्रों को डिग्री दे रहे हैं. उन्होंने कहा हालांकि, एक डिग्री रोजगार की गारंटी नहीं है.
डॉ फहीम जहांगीर खान ने कहा, 'नियोक्ता सिद्धांत से परे कौशल की मांग करता है.‘ उन्होंने कहा, ‘शिक्षकों पर एक जिम्मेदारी है, लेकिन छात्रों को भी सक्रिय होना होगा और उद्यमिता की ओर मुड़ना होगा, उन्होंने कहा, और कहा, ‘हर कोई नौकरी क्यों चाहता है, आप उद्यमिता क्यों नहीं हो सकते?'
62 से 67 पहुंचा आंकड़ा
संस्थान द्वारा पिछले एक सर्वेक्षण में पाया गया कि पाकिस्तान छोड़ने की इच्छा 15 से 24 वर्ष की आयु के युवाओं में सबसे प्रमुख थी. इसमें कहा गया कि कम से कम 62 प्रतिशत युवाओं ने संकेत दिया है कि वे देश छोड़ना चाहते हैं.
इस बीच, इकोनफेस्ट में बोलते हुए डॉ दुर्रे नायब ने कहा कि पाकिस्तान में एक अजीब स्थिति है. उन्होंने कहा, ‘हम लोगों का साक्षात्कार लेते हैं लेकिन सही उम्मीदवार नहीं मिलते हैं और सही उम्मीदवारों को रोजगार नहीं मिलता है.’ उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक युवाओं को प्रासंगिक शिक्षा नहीं दे रहे हैं और यहां तक कि हर साल अपने व्याख्यान के लिए वही नोट्स दोहरा रहे हैं.
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