तरक्की की दौड़ में अंधे हो चुके चीन (China) में लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. दुनिया के लिए कोरोना (Corona) के बाद मास्क लगाना जरूरी हुआ है वहीं चीन के शहर बीजिंग में पहले भी लोग मास्क के बिना घर से नहीं निकल पाते थे, इसका कारण है यहां का बेइंतहा पॉल्यूशन. कहा जाता है कि चीन में पॉल्यूशन इतना है कि ‘ग्रेट चाइना वॉल’ के अलावा स्पेस से ये भी नजर आता है.
चीन की राजधानी बीजिंग में एक दिन तक सांस लेने का हेल्थ पर उतना ही खराब असर पड़ता है, जितना कि एक पैकेट सिगरेट पीने से होता है. इतनी ही नहीं 90 फीसदी चीन के पानी में जहरीले तत्व होते हैं.
चीन के बारे में कहा जाता है, यहां टेबल-कुर्सी को छोड़कर हर चार पैर वाली चीज खाई जाती है. ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि चीनियों के खाने के शौक बेहद अजीब हैं. कीड़े-मकोड़ों से लेकर जानवरों तक को ये खा जाते हैं.
चीन मानवाधिकारों के हनन के लिए भी जाना जाता है. यहां ड्रग ट्रैफिकिंग, एडल्ट्री और करप्शन के मामलों में भी मौत की सजा दी जाती है. कहा जाता है कि चीन की जेलों में इतने कैदी हैं कि मौत की सजा देने के लिए यहां ‘मोबाइल एग्जीक्यूशन’ गाड़ियां हैं. ह्यूमन राइट्स रिपोर्ट के मुताबिक, यहां हर साल हजारों लोगों को मौत की सजा दी जाती है. पहले यहां कैदी को गोलियों से मारा जाता था लेकिन अब जहरीले इंजेक्शन का यूज किया जाता है.
चीन की PLA यानी आर्मी की ट्रेनिंग भी अपने आप में बेहद अजीब होती है. ट्रेनिंग के दौरान नए सिपाही के कॉलर में पिन लगा दी जाती है ताकि उसकी गर्दन सीधी रहे. डॉग्स तो हर देश की सिक्योरिटी का हिस्सा होते हैं लेकिन चीन की आर्मी में बंदर, हंस और कबूतर भी होते हैं. चीन कबूतरों को मैसेंजर की ट्रेनिंग देता है.
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चीन तकनीक की गिरफ्त में इतनी बुरी तरह आ गया है कि उसे मोबाइल फोन, वीडियो गेम आदि के एडिक्टेड लोगों के लिए अलग से नियम बनाने पड़ रहे हैं. इन्हीं में से एक नियम है स्मार्टफोन के आदी लोगों के लिए. यहां स्मार्टफोन के आदी लोगों के लिए सड़कों पर अलग लेन बनाई गई है, ताकि पैदल चलते हुए फोन यूज करने से एक्सीडेंट न हो.
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