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नई दिल्ली: पूर्वी तिब्बत में चीनी पुलिस ने बड़ी तादाद में तिब्बती युवाओं के केवल इस अपराध में गिरफ्तार कर लिया है क्योंकि उनके मोबाइल फोन में दलाई लामा की तस्वीर सहित कई ऐसी चीजें मिली हैं जिन्हें रखना चीन में अपराध है. इन युवाओं को चीनी सेना द्वारा बहुत दुर्गम जगहों पर चलाए जा रहे श्रमिक शिविरों में ले जाया गया है जहां जाने के बाद लौटना लगभग असंभव होता है.
पूर्वी तिब्बत के करद्जे प्रिफेक्चर (Kardze Prefecture) में जनवरी और फरवरी में बड़ी तादाद में तिब्बती युवाओं को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें अज्ञात जगहों पर ले जाया गया है. तिब्बत में लोगों को पता है कि ऐसे श्रम शिविरों या शिक्षण शिविरों में ले जाने के क्या अर्थ होता है. किसी के परिवार को नहीं पता है कि उनके लोगों को कहां ले जाया गया है.
एक तिब्बती रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी में लिखोग शहर में पुलिस ने तिब्बती युवाओं के मोबाइलों को जब्त कर उनकी जांच की और उसके बाद युवाओं को गिरफ्तार कर लिया गया. कुछ के बारे में पता चला कि उन्हें एक श्रम शिविर में रखा गया है लेकिन बाकी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. लिखोग में ज्यादातर तिब्बती घुमंतू पशुपालक रहते हैं और उनमें से ज्यादातर को गिरफ्तार किया गया है.
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कुछ तिब्बतियों के मोबाइल में दलाई लामा की फोटो मिली तो उनपर चीन से बाहर रहने वाले तिब्बती आंदोलनकारियों से संबंध रखने का आरोप लगाकर गिरफ्तार किया गया. करद्जे प्रांत (Kardze Prefecture) के ड्रैगो शहर में ये दमन चक्र पिछले साल अक्टूबर से चल रहा है लेकिन दिसंबर के बाद से इसमें तेजी आ गई है.
पिछले साल दिसंबर में चीनी प्रशासन ने ड्रैगो में 30 मीटर ऊंची भगवान बुद्ध की प्रतिमा को तोड़ दिया. ये जगह चीन के सिचुआन प्रांत के तहत आती है. प्रशासन ने मठ में लगी प्रार्थना झंडियों को जला दिया और प्रार्थना के 45 पहिए तोड़ दिए. इस घटना के बाद पूरे इलाके में तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं के साथ-साथ आम तिब्बती ने भी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए. चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी ने हाल ही में एक नया धार्मिक कानून लागू किया है जिसके तहत बड़े आकार के धार्मिक चिन्हों या मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
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हालांकि ये कानून मठ या मंदिर के बाहर रखे धार्मिक चिन्हों पर लागू होता है लेकिन चीनी प्रशासन ने ड्रैगो में मठ के अंदर की मूर्ति को भी ये कहते हुए तोड़ दिया कि ये तय ऊंचाई से ज्यादा लंबी है. जनवरी में विरोध प्रदर्शनों में भाग ले रहे हजारों तिब्बती युवाओं को गिरफ्तार करके उन्हें शिक्षण शिविरों में ले जाया गया जिसके बाद उनका कोई पता नहीं है.
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