Israel Iran latest : इजरायल-ईरान के बीच पुरानी दुश्मनी (Israel Iran enmity) है. मिडिल ईस्ट (Middle East) के एयर स्पेस में दोनों के बीच 'डॉग फाइट' चल रही है. इजरायली समर्थक नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) के नाम पर शेखी बघार रहे हैं तो ईरानी फैंस खामनेई को ताकतवर बताकर उसकी शान में कसीदे गढ़ रहे हैं. तकनीकी रूप से इजरायल से कोसों दूर पीछे खड़े ईरान के सुप्रीम लीडर खामनेई (Ali Khamenei) अपने कौन से मोहरों के दम पर बेंजामिन नेतन्याहू की नाक में दम कर रहे थे, आइए बताते हैं.
इजरायल-ईरान के बीच तनाव चरम पर है. इजरायली PM नेतन्याहू ने कहा, 'ईरान को अंजाम भुगतना होगा'. दुनिया जानती है कि इजरायल अपने कमिटमेंट का कितना पक्का है. 'टाइगर अभी जिंदा है' के हीरो की तरह इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के एजेंट पल भर में चुटकियां बजाकर दुश्मन का काम तमाम कर सकते हैं. यही वजह है कि दूध का जला ईरान अब छांछ भी फूंक फूंक कर पी रहा है.
दूसरी ओर ईरान ने अपने बयान में कहा, 'उसने हमास के चीफ इस्माइल हानिया, हिज्बुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह और ईरानियन कमांडर अब्बास निलफोरोशान की मौत का बदला लेने के लिए किया'. माना जाता है कि ईरान ने समय रहते 7 प्रॉक्सी प्यादे सेट न किए होते यानी वो मोहरे दुनिया में न होते तो ईरान न जाने कब घुटनों के बल आ गया होता. ये सात दशकों से नेतन्याहू की टेंशन बढ़ा रहे हैं. हालांकि इजरायल ने अगला टारगेट किसे सेट किया है, इससे बहुत से लोगों में खौफ है.
इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू कसम खा चुके हैं. इजरायल की सेना के प्रवक्ता डेनियल हगारी ने कहा, 'Middle east या ईरान में ऐसी 1 इंच जगह भी ऐसी नहीं है, जहां उसके लंबे हाथ न पहुंच सकें. सही वक्त और जगह चुनकर ईरान को जवाब दिया जाएगा'. इजरायल के रक्षामंत्री गैलेंट ने कहा, 'ईरान ने सबक नहीं सीखा. जिसने भी इजरायल पर हमला किया, उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी है'. अब बात उस पहले प्यादे की जो है तो एक देश, उसका नाम सीरिया है. वहां फातेमियों ब्रिगेड, जैनबियों ब्रिगेड और बकीर ब्रिगेड भी ईरान के एक इशारे पर जान देने को तैयार है.
दूसरा मोहरा है 'हमास'. जिसे 1987 में इजरायल-अमेरिका ने आतंकवादी संगठन घोषित किया था. हमास के मुखिया हानिया को 3 महीने पहले इजरायल ने मार गिराया था. हमास को पालता-पोसता है ईरान, जो उसे पश्चिमी देशों के कहर और बुरी निगाह से बचाता है.
तीसरा मोहरा है फिलिस्तीन के कुछ संगठन हैं जो ईरान के प्रॉक्सी हैं. फिलिस्तीनी लड़ाके भी ईरान के जिगरी यार हैं. चौथा है बहरीन वो भी एक देश है लेकिन उसके यहां की 'अल-अश्तार' ब्रिगेड ईरान की मदद से बहरीन सरकार की मुखालफत करती है. 2013 में बनी ब्रिगेड को ईरान से न सिर्फ फंडिंग मिलती है, बल्कि हथियार और विस्फोटक भी मिलते हैं. अल-अश्तार ब्रिगेड को हिज्बुल्लाह का समर्थन भी मिला. अब इजरायल एयर स्पेस से लेकर समुद्री सीमा तक मित्र राष्ट्रों की पनडुब्बियों के जरिए दुश्मनों को डुबो देने का दावा कर रहा है.
पांचवा है लेबनान का हिज्बुल्लाह जिसे 1982 में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने बनाया था. जिसने इजरायल की नाक में दम करके रखा था. ऐसे में इजरायल ने हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह को निपटा दिया. अब भी बेरुत में लोग डरे सहमे हैं.
इराक के लोग मुस्लिम ब्रदरहुड के नाम पर ईरान के साथ है. बगदाद में एक्टिव चरमपंथी संगठन पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेस और 'बद्र' जैसे कई संगठन हैं. जिनके पैदा होने में ईरानी खुफिया एजेंसी का हाथ था. कुछ और भी हैं जो इजरायल की ईंट से ईंट बजाने को तैयार हैं.
यमन में ईरान की आंखों के तारे 'हूती' आतंकी भी नेतन्याहू को निपटाने की फिराक में हैं. ये सब ईरान के सुप्रीम लीडर को 'मेंटर' मानते हैं. 1960 के दशक में Middle East कई झंझावातों में फंसा था. विद्रोह -बगावतों का दौर था. तब एक युवा क्रांतिकारी अपने घर दरबार लगाता था. वो युवा मौलवी जैसा लिबास पहनता था. दुनिया के हर विषय पर चर्चा करता था. तब के लोग उसकी बात पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करते थे, क्योंकि वो शिया मौलवियों के जैसा नहीं था. वो एक इस्लामिक स्कॉलर था और हर विषय को अपनी कसौटी पर कसकर देखता था. उस युवा का जीवन मिडिल ईस्ट में उसके तमाम साथी क्रांतिकारी साथियों जैसा था. ईरान हो या सऊदी अरब. जॉर्डन और मोरक्को दुनिया के किसी भी हिस्से में वंशानुगत राजशाही से नफरत थी. वो आगे चलकर पूरे ईरान की कमान संभालता है.
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