World Water Day 2024: हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है. हमारी धरती का 70% हिस्सा पानी में डूबा है. एक अनुमान के मुताबिक, पृथ्वी पर 1.38 बिलियन लीटर पानी है. 97% से ज्यादा पानी महासागरों और सागरों में भरा है. यह पानी खारा है मतलब इंसान के पीने लायक नहीं. महासागरों में जमा पानी की वजह से ही हमारी धरती का रंग नीला मालूम पड़ता है. पृथ्वी पर उपलब्ध कुल पानी का सिर्फ 2.5% ही पीने लायक है और उसका भी दो-तिहाई ग्लेशियरों में जमा है. UNICEF के मुताबिक, 2025 तक दुनिया की आधी आबादी ऐसे इलाकों में रह रही होगी जहां पानी की किल्लत होगी. वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम (WEF) ने जल संकट दुनिया के लिए सबसे बड़े खतरों की लिस्ट में रखा है. इस खतरे को टालने के मकसद से वर्ल्ड वाटर डे की शुरुआत हुई थी. पानी का केमिकल फॉर्म्युला H2O है. पानी के हर अणु में ऑक्सीजन का एक और हाइड्रोजन के दो परमाणु होते हैं. क्या हम हवा में मौजूद इन दो गैसों से पानी नहीं बना सकते?
हाइड्रोजन के दो परमाणु मिलाए और ऑक्सीजन का एक और बन गया पानी! जी नहीं, यह इतना आसान नहीं है. हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के एक अणु में दो-दो परमाणु होते हैं. उन्हें तोड़कर एक-एक परमाणु अलग करना होगा फिर अलग हुए परमाणुओं में से हाइड्रोजन के दो और ऑक्सीजन का एक परमाणु को लिंक कराना होगा, तब पानी बनेगा.
हाइड्रोजन दुनिया का सबसे आसान तत्व है. उसके परमाणु के ऑर्बिट में केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है. ऑक्सीजन की कहानी थोड़ी अलग है. उसके परमाणु के बाहरी ऑर्बिट में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं, बाहरी शेल को पूरा करने से दो इलेक्ट्रॉन कम. हर परमाणु के इलेक्ट्रॉन्स का ऑर्बिट एक-दूसरे से लिंक होना चाहिए मगर ऐसा करने से भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है.
हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाने की प्रक्रिया बेहद खतरनाक है. हाइड्रोजन बेहद ज्वलनशील गैस है और ऑक्सीजन जलने में मदद करती है. दोनों के परमाणुओं को जोड़ने के लिए एक चिंगारी काफी है लेकिन इतनी ज्यादा ऊर्जा निकलती है कि भयानक विस्फोट हो सकता है.
1937 में हिंडनबर्ग आपदा ऐसे ही केमिकल रिएक्शन का नतीजा था. 1937 में जर्मनी के पैसेंजर एयरशिप LZ 129 में आग लग गई थी. पता चला कि जहाज पर स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी जमा हो गई थी जिसकी वजह से एक चिंगारी निकली और आग लग गई. हवाई जहाज के बाहर पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मौजूद थी. उसके विमान के भीतर की हाइड्रोजन के संपर्क में आते ही बेहद तेज रिएक्शन हुआ और जोरदार धमाके में पूरा विमान आग का गोला बन गया. हालांकि, उस केमिकल रिएक्शन की वजह से पानी जरूर बना.
दुनिया की प्यास बुझ सके, उसके लिए पानी बनाने वाली लैब्स में ऐसे इंतजाम करने होंगे जिससे इतने बड़े पैमाने पर निकलने वाली ऊर्जा को काबू किया जा सके. यह कर पाना व्यावहारिकता के दायरे से परे है. यह आर्थिक रूप से बेहद महंगा साबित होगा.
ट्रेन्डिंग फोटोज़