बिहार के 25 प्रतिभाशाली छात्रों को IIT JEE और NEET के लिए एक साल की मुफ्त शिक्षा
Advertisement
trendingNow11572975

बिहार के 25 प्रतिभाशाली छात्रों को IIT JEE और NEET के लिए एक साल की मुफ्त शिक्षा

IIT JEE and NEET: दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाने वाली यूपीएससी (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा और आईआईटी (IIT JEE) परीक्षा पास करने के बाद हर साल बिहार के कई छात्र अधिकारी और आईआईटीयन बनते हैं.

बिहार के 25 प्रतिभाशाली छात्रों को IIT JEE और NEET के लिए एक साल की मुफ्त शिक्षा

IIT JEE and NEET: दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाने वाली यूपीएससी (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा और आईआईटी (IIT JEE) परीक्षा पास करने के बाद हर साल बिहार के कई छात्र अधिकारी और आईआईटीयन बनते हैं. देश में हर चौथे जिले के आईएएस या आईपीएस अधिकारी बिहारी मूल के हैं.

बिहार के अधिक से अधिक छात्रों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, एडविज़ो ने मंगलवार को बिहार के 25 प्रतिभाशाली छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए एक पहल शुरू की, जो प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) और राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) में बैठने की इच्छा रखते हैं. इस पहल का उद्देश्य राज्य के उन युवा छात्रों को एक अनूठा अवसर प्रदान करना है जो इंजीनियरिंग और मेडिकल क्षेत्रों में करियर बनाने में रुँचि रखते हैं. इस पहल के साथ, एडविज़ो का उद्देश्य उन प्रतिभाशाली छात्रों का समर्थन करना है जो प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ना चाहते हैं लेकिन वित्तीय संसाधन के अभाव में वो सक्षम नहीं हैं.

fallback

 

25 छात्रों के लिए चयन प्रक्रिया योग्यता के आधार पर होगी और जिन छात्रों ने NLCEE परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया है, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी. इसके लिए छात्र 17 फरवरी पहले www.nlcee.orgपर जाकर आवेदन कर सकते हैं और रिजल्ट 19 फरवरी को शाम 5 बजे जारी किया जाएगा.

चयनित छात्रों को गणित, भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान पढ़ाया जाएगा और उन्हें बेहतर करने में मदद करने के लिए मॉक टेस्ट और बीच-बीच में परीक्षा भी ली जाएगी. शिक्षक उन्हें यह भी मार्गदर्शन करेंगे कि कैसे अपने समय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाए, और परीक्षा की तैयारी आत्मविश्वास के साथ कैसे किया जाए. यह पहल छात्रों को उनकी पूरी क्षमता हासिल करने और प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. एडविज़ो टीम के अनुसार, यह पहल एक साल तक चलेगी. बच्चों को IIT-NEET में सफलता प्राप्त कर चुके शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जाएगा. यह पहल न केवल छात्रों को IIT JEE और NEET की तैयारी करने में मदद करेगी बल्कि उन्हें विषयों में एक मजबूत आधार भी प्रदान करेगी.

एडविज़ो का लक्ष्य सिर्फ छात्रों का चयन कराना नहीं बल्कि अच्छे रैंक हासिल कराना है. एडविज़ो का है जो छात्र इन परीक्षाओं में अच्छी रैंक प्राप्त करते हैं, उनके पास IIT और AIIMS जैसे शीर्ष प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश पाने की संभावना अधिक होती है .

एडविज़ो ने यह भी घोषणा की है कि IIT JEE और NEET परीक्षा में अच्छे रैंक हासिल करने वाले प्रत्येक छात्र को 5 लाख रुपये के पुरस्कार से सम्मानित करेंगे. यह छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन होगा और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने में मदद करेगा. यह पहल छात्रों को सर्वोत्तम संभव शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और पुरस्कार इसे सुदृढ़ करने में मदद करेंगे.

एडविज़ो के सीईओ ने एक बयान में कहा, "हम सभी इस पहल को शुरू करने के लिए बहुत उत्साहित हैं जो छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के हमारे मिशन में एक महत्वपूर्ण कदम है. हमारा मानना है कि शिक्षक मौलिक अधिकार है और किसी को भी सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति के कारण इससे वंचित नहीं किया जाना चाहिए. सिर्फ चयन के बजाय अच्छे रैंक पर हमारा ध्यान छात्रों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त

विकसित करने में मदद करेगा, और हम आशा करते हैं कि यह पहल भविष्य में और अधिक छात्रों को इन परीक्षाओं में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगी." बिहार में 25 प्रतिभाशाली छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने की एडविज़ो की यह पहल एक सकारात्मक और बहुत जरूरी पहल है. यह बिहार के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त करने और उनके कौशल और ज्ञान का निर्माण करने का अवसर प्रदान करेगी. यह पहल बिहार में छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में भी मदद करेगी.

ज्ञात हो की पिछले साल IIT JEE और NEET के छात्रों के लिए एडविजो का क्रैश कोर्स सफल साबित हुआ था . पाठ्यक्रम में भाग लेने वाले 100 छात्रों में से प्रभावशाली 38 ने IIT और NEET की परीक्षा पास की थी. इस पहल को भारत के तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने भी सराहा था.

Trending news