लिव इन रिलेशनशिप उसे कहते हैं, जब किसी पुरुष या महिला शादी के बिना किसी दूसरे व्यक्ति के साथ रहने को तैयार होते हैं. लिव इन में रहने से पहले संबंधित कपल को इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है.
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लिव इन रिलेशनशिप उसे कहते हैं, जब किसी पुरुष या महिला शादी के बिना किसी दूसरे व्यक्ति के साथ रहने को तैयार होते हैं. इससे पहले इस मुद्दे पर बहस कम थी लेकिन पिछले साल दिल्ली में हुए श्रद्धा मर्डर केस के मामले के बाद लोग लिव इन रिश्तों पर सवाल उठाने लगे हैं. श्रद्धा का मामला काफी दुखद था जिसमें वो अपने पार्टनर के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रही थी. श्रद्धा के प्रेमी से पहले उसकी हत्या की और फिर लाश के 35 टुकड़े करके अलग-अलग जगह पर फेंक दिए.
इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. हालांकि, इसका ये मतलब नहीं है कि सभी लिव इन रिलेशनशिप खराब होते हैं. लिव इन रिश्तों में रहना एक बहुत ही निजी मामला होता है जिसमें सरकार या किसी और व्यक्ति का हस्तक्षेप नहीं होता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में कुछ नियम बनाए हैं जो लिव इन में रहने वाले कपलों को अपनाने होते हैं. इन नियमों में शामिल हैं यह कि कपलों के बीच एक सहमति होनी चाहिए और दोनों व्यक्तियों को अपनी संख्या दर्ज करवानी होगी जिससे कि किसी भी निजी मामले में संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी हो सके. इसलिए लिव इन में रहने से पहले संबंधित कपल को इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है.
लिव इन रिलेशनशिप के कुछ महत्वपूर्ण नियम
समझौता पत्र
लिव इन रिलेशनशिप के लिए एक समझौता पत्र की आवश्यकता होती है, जिसमें दोनों पक्षों की अधिकृत योग्यता होनी चाहिए. इसमें दोनों की सहमति, लिव इन के समय और अन्य नियमों के बारे में स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए.
स्थायी और संशोधनीय समझौता
स्थायी समझौता एक निश्चित अवधि के लिए होता है और संशोधनीय समझौता समय-समय पर संशोधित किया जा सकता है.
सामान का विभाजन
लिव इन कपल को समान रूप से सामान का विभाजन करना चाहिए. वे स्वतंत्र हैं और अपने वित्तीय मामलों की जिम्मेदारी उठाने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए अन्य नियम