Akshaya Tritiya: इसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है, क्योंकि तृतीया तिथि तो है ही इस दिन अक्षय यानी कभी भी क्षय न होने वाला मुहूर्त रहता है, अर्थात जिसका कभी क्षरण न होता हो और सदैव स्थायी रहता हो.
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Akshaya Tritiya Significance: क्या आप भी कोई शुभ मांगलिक कार्य करने के लिए किसी बहुत ही अच्छे मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं तो बस अब आपका इंतजार पूरा ही होने वाला है. आप अभी से अपने कार्य की तैयारियां शुरु कर सकते हैं, क्योंकि यह शुभ मुहूर्त 23 अप्रैल रविवार को आने वाला है. इस दिन आप कोई भी अच्छा कार्य बिना किसी से मुहूर्त पूछे कर सकते हैं, क्योंकि इस दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त रहेगा. इस तिथि को अक्षय तृतीया कहते हैं जो बैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को होती है.
मुहूर्त ग्रंथ के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन सभी मुहूर्त स्वयंसिद्ध होते हैं. इस दिन किसी भी मांगलिक कार्य को करने के लिए योग, ग्रह, नक्षत्र आदि के बारे में जानकारी करने की आवश्यकता नहीं रहती है. इसी दिन भगवान परशुराम की जयंती भी मनाई जाती है. बैशाख मास के शुक्ल पक्ष में तृतीया तिथि को ही भगवान परशुराम का प्रादुर्भाव हुआ था. इसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है, क्योंकि तृतीया तिथि तो है ही इस दिन अक्षय यानी कभी भी क्षय न होने वाला मुहूर्त रहता है, अर्थात जिसका कभी क्षरण न होता हो और सदैव स्थायी रहता हो.
यदि इसी दिन कृतिका नक्षत्र भी हो यानी कृतिका नक्षत्र में तृतीया युक्त हो तो मिलने वाला फल कई गुना बढ़ जाता है. शास्त्रों की मान्यता के अनुसार, इस दिन दिया गया दान, हवन और जब आदि अक्षय फल देना वाला होता है. इस दिन का महत्व इसलिए भी अधिक हो जाता है, क्योंकि इसी दिन सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ भी माना जाता है. दो युगों का प्रारंभ इसी दिन होने के कारण इसे युगादि तिथि भी कहा जाता है.
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