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Ekadashi Vrat Param Vidhi: ज्योतिष शास्त्र में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. बता दें कि फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है. साथ ही, कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है.
मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है. इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. लेकिन एकादशी का व्रत एकादशी तिथि पर नहीं खुलता. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एकादशी तिथि के व्रत का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता है. सही समय और सही तिथि पर पारण करने के बाद ही एकादशी तिथि के व्रत का फल मिलता है. बता दें कि द्वादशी तिथि कई बार सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में सूर्योदय के बाद ही पारण किया जाता है.
आमलकी एकादशी पारण का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार आमलकी एकादशी व्रत का पारण गुरुवार 21 मार्च के दिन किया जाएगा. बता दें कि इस दिन पारण का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 07 बजे से लेकर 03 बजकर 32 मिनट तक है. इसी समय में व्रत का पारण करने से शुभ फलो की प्राप्ति होगी.
आमलकी एकादशी व्रत पारण विधि
- बता दें कि एकादशी व्रत का पारण करने से पहले सुबह स्नान आदि कर लें और इसके बाद षोडोपचार विधि से भगवान की पूजा-आरती करें. इसके बाद ब्राह्मणों को सामर्थ्यानुसार दान आदि करें. इसके बाद ही खुद अन्न-जल ग्रहण करें. इस विधि से पारण करने पर ही व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एकादशी व्रत का पारण करते समय पूजा में चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण किया जा सकता है. इस दौरान सात्विक भोजन से ही व्रत पारण करें. साथ ही,आमलकी एकादशी के दिन पारण के समय चावल अवश्य खाएं. बता दें कि एकादशी तिथि पर चावल खाने की मनाही होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)