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How To Strong Budh In Kundali: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा जाता है. किसी भी व्यक्ति की कुंडली में किसी अमूक ग्रह के कमजोर होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं, अगर कोई ग्रह मजबूत होता है, तो व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 28 दिसंबर को बुध अपने निश्चित समय धनु राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे. ऐसे में जिन लोगों की कुंडली में बुध मजबूत स्थिति में है, उन्हें ज्ञानी और पराक्रमी कहा जाता है. ये लोग बुद्धि कौशल होते हैं.
वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह वक्री अवस्था में 28 दिसंबर की सुबह 11 बजकर 07 मिनट पर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे. ऐसे में अगर किसी जातक की कुंडली में बुध कमजोर स्थिति में है, तो इस दौरान उसे बुध स्त्रोत का पाठ अवश्य करना चाहिए. इससे व्यक्ति के जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर होती हैं.
बुध स्तोत्र
पीताम्बर: पीतवपु किरीटी, चतुर्भुजो देवदु:खापहर्ता ।
धर्मस्य धृक सोमसुत: सदा मे, सिंहाधिरुढ़ो वरदो बुधश्च ।।
प्रियंगुकनकश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं नमामि शशिनन्दनम ।।
सोमसुनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित: ।
सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम ।।
उत्पातरूपी जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति: ।
सूर्यप्रियकरोविद्वान पीडां हरतु मे बुधं ।।
शिरीषपुष्पसंकाशं कपिलीशो युवा पुन: ।
सोमपुत्रो बुधश्चैव सदा शान्तिं प्रयच्छतु ।।
श्याम: शिरालश्चकलाविधिज्ञ:, कौतूहली कोमलवाग्विलासी ।
रजोधिको मध्यमरूपधृक स्या-दाताम्रनेत्रो द्विजराजपुत्र:।।
अहो चन्द्रासुत श्रीमन मागधर्मासमुदभव: ।
अत्रिगोत्रश्चतुर्बाहु: खड्गखेटकधारक: ।।
गदाधरो नृसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित: ।
केतकीद्रुमपत्राभ: इन्द्रविष्णुप्रपूजित: ।।
ज्ञेयो बुध: पण्डितश्च रोहिणेयश्च सोमज: ।
कुमारो राजपुत्रश्च शैशवे शशिनन्दन: ।।
गुरुपुत्रश्च तारेयो विबुधो बोधनस्तथा ।
सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद: ।।
एतानि बुधनामानि प्रात: काले पठेन्नर: ।
बुद्धिर्विवृद्धितां याति बुधपीडा न जायते ।।
बुध ग्रह कवच
बुधस्तु पुस्तकधरः कुंकुमस्य समद्दुतिः ।
पितांबरधरः पातु पितमाल्यानुलेपनः ।।
कटिं च पातु मे सौम्यः शिरोदेशं बुधस्तथा ।
नेत्रे ज्ञानमयः पातु श्रोत्रे पातु निशाप्रियः ।।
घ्राणं गंधप्रियः पातु जिह्वां विद्याप्रदो मम ।
कंठं पातु विधोः पुत्रो भुजा पुस्तकभूषणः।।
वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं रोहिणीसुतः ।
नाभिं पातु सुराराध्यो मध्यं पातु खगेश्वरः ।।
जानुनी रौहिणेयश्च पातु जंघेSखिलप्रदः ।
पादौ मे बोधनः पातु पातु सौम्योSखिलं वपु ।।
एतद्धि कवचं दिव्यं सर्वपापप्रणाशनम् ।
सर्व रोगप्रशमनं सर्व दुःखनिवारणम् ।।
आयुरारोग्यधनदं पुत्रपौत्रप्रवर्धनम् ।
यः पठेत् श्रुणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् ।।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)