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नई दिल्ली: हर महीने में 2 बार- कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि के दिन (Ekadashi) भगवान विष्णु की पूजा और व्रत किया जाता है. ठीक उसी तरह हर महीने में 2 बार त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत (Pradosh Vrat) रखा जाता है जो भगवान शिव (Lord Shiv) को समर्पित है. जिस दिन प्रदोष का व्रत पड़ता है उस दिन जिस देवता या देवी का दिन होता है उनकी पूजा के साथ ही शिव जी की भी पूजा की जाती है. मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत हो तो हनुमान जी के साथ शिव जी की पूजा, गुरुवार को प्रदोष व्रत हो तो विष्णु जी के साथ शिव जी की भी पूजा. बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत तो बुध प्रदोष (Budh Pradosh) के नाम से जाना जाता है. माघ महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर आज 24 फरवरी बुधवार को प्रदोष का व्रत रखा जाएगा.
प्रदोष व्रत को सौभाग्य बढ़ाने वाला व्रत माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को सौ गाय दान करने के समान फल प्राप्त होता है. साथ ही अपनी संतान को स्वस्थ और बुद्धिमान बनाने के लिए भी महिलाएं ये व्रत रखती हैं. त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष का व्रत रखने और भगवान शिव के साथ ही उनके पूरे परिवार की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करने से सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है. सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद के समय को प्रदोष काल कहा जाता है और प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में भगवान शिव की पूजा को विशेष फलदायी माना गया है.
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प्रदोष व्रत रखने की तारीख- 24 फरवरी 2021, दिन बुधवार
माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि आरंभ- 24 फरवरी शाम 06:05 बजे से
माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि समाप्त- 25 फरवरी शाम 05.18 बजे तक
एक पुरुष की नई-नई शादी हुई थी. वह गौने के बाद दूसरी बार पत्नी को लाने के लिये ससुराल पहुंचा और उसने सास से कहा कि बुधवार के दिन ही पत्नी को लेकर अपने नगर जायेगा. उस पुरुष के ससुराल वालों ने उसे समझाया कि बुधवार को पत्नी को विदा कराकर ले जाना शुभ नहीं है, लेकिन वह पुरुष नहीं माना. विवश होकर सास-ससुर को अपने जमाता और पुत्री को भारी मन से विदा करना पड़ा. पति-पत्नी बैलगाड़ी में चले जा रहे थे. एक नगर से बाहर निकलते ही पत्नी को प्यास लगी. पति लोटा लेकर पत्नी के लिये पानी लेने गया. जब वह पानी लेकर लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी पराये पुरुष के लाये लोटे से पानी पीकर, हँस-हँसकर बात कर रही है. वह पराया पुरुष बिल्कुल इसी पुरुष के शक्ल-सूरत जैसा था. यह देखकर वह पुरुष दूसरे अन्य पुरुष से क्रोध में आग-बबूला होकर लड़ाई करने लगा. धीरे-धीरे वहाँ काफी भीड़ इकट्ठा हो गयी. इतने में एक सिपाही भी आ गया. सिपाही ने स्त्री से पूछा कि सच-सच बता तेरा पति इन दोनों में से कौन है? लेकिन वह स्त्री चुप रही क्योंकि दोनों पुरुष हमशक्ल थे.
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बीच राह में पत्नी को इस तरह देखकर वह पुरुष मन ही मन शंकर भगवान की प्रार्थना करने लगा कि हे भगवान मुझे और मेरी पत्नी को इस मुसीबत से बचा लो, मैंने बुधवार के दिन अपनी पत्नी को विदा कराकर जो अपराध किया है उसके लिये मुझे क्षमा करो. भविष्य में मुझसे ऐसी गलती नहीं होगी. शंकर भगवान उस पुरुष की प्रार्थना से द्रवित हो गये और उसी क्षण वह अन्य पुरुष कही अंर्तध्यान हो गया. वह पुरुष अपनी पत्नी के साथ सकुशल अपने नगर को पहुँच गया. इसके बाद दोनों पति-पत्नी नियमपूर्वक प्रदोष व्रत करने लगे.
प्रदोष व्रत से जुड़ी सावधानियां
-इस दिन काले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए
-अगर आप प्रदोष का व्रत रख रहे हों तो भोजन का सेवन न करें, फलाहार से ही व्रत करें
-इस दिन बेवजह गुस्सा या क्रोध न करें, वाणी पर संयम रखें
-पूजा करने के दौरान कुश नाम की घास से बने आसन का ही प्रयोग करें
-इस दिन मांसाहारी भोजन और शराब आदि का सेवन न करें