Chanakya Neeti: जिस मनुष्य में होता है ये एक गुण, उन्हें कभी नहीं होती पैसों की कमी
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Chanakya Neeti: जिस मनुष्य में होता है ये एक गुण, उन्हें कभी नहीं होती पैसों की कमी

आचार्य चाणक्य अपने एक श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि अगर मनुष्यों में ये एक गुण हो तो उनके जीवन में मुश्किलें अपने आप हल हो जाती हैं और धन-संपत्ति की भी कभी कमी नहीं होती. 

मनुष्य में होना चाहिए ये एक गुण

नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य (Chanakya) को महान विद्वान माना जाता है. चाणक्य को अर्थशास्त्र, राजनीतिक शास्त्र और समाज शास्त्र की गहरी समझ थी. इसीलिए चाणक्य ने अपनी जिंदगी के सभी अनुभवों को मनुष्य की भलाई के लिए चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में विस्तार से लिखा है. आचार्य चाणक्य (Chanakya) द्वारा रचित चाणक्य नीति (Chanakya Niti) मनुष्य को सफलता (Success) की ओर ले जाने का मार्ग दिखाती है. अगर कोई मनुष्य आचार्य चाणक्य (Chanakya) की बातों का अनुसरण करता है तो उसका पूरा जीवन खुशहाली के साथ व्यतीत होता है और उसे समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता. 

  1. चाणक्य नीति के मुताबिक मनुष्य में यह गुण जरूर होना चाहिए
  2. ऐसे मनुष्यों को कभी नहीं होती धन-संपत्ति की कमी
  3. जिन मनुष्यों में होता है ये एक गुण, खुशियों से भरा रहता है उनका जीवन

परोपकारी व्यक्ति को जीवन में मिलती है सफलता

चाणक्य नीति के 17वें अध्याय के 14वें श्लोक में आचार्य चाणक्य ने लिखा है:
परोपकरणं येषां जागर्ति हृदये सताम् ।
नश्यन्ति विपदस्तेषां सम्पदः स्युः पदे पदे ।।

अर्थात- जिन सज्जन पुरुषों के हृदय में परोपकार की भावना होती है, उनके जीवन की सभी आपत्तियां-विपत्तियां और विपदाएं दूर हो जाती हैं और उन्हें पग-पग पर संपत्ति और सफलता प्राप्त होती है. 

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इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक अच्छा और बेहतर इंसान वही है जो दूसरों की मदद करता है और जिसके मन में परोपकार की भावना होती है. परोपकार से भरे व्यक्ति के जीवन में अगर कभी कोई समस्या या विपदा आती भी है तो वह अपने आप हल हो जाती है और ऐसे लोगों को जीवन के हर कदम पर धन-संपत्ति और सफलता की प्राप्ति होती है. ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि दूसरों की मदद करने से आपकी धन-संपत्ति घट जाएगी या उसमें किसी तरह की कमी होगी. इसके ठीक उलट अगर आप दूसरों की मदद करते हैं और परोपकार करते हैं तो आपके घर में हमेशा लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्वार्थी मनुष्य का जीवन व्यर्थ है. इसलिए मनुष्यों को एक दूसरे की मदद करनी चाहिए.

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