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नई दिल्ली: सनातन धर्म में लगभग सभी देवी-देवताओं (God-Goddess) को नारियल अर्पित किया जाता है. यूं कहें कि कोई भी पूजा और मांगलिक कार्य बिना नारियल (Nariyal) के पूरा ही नहीं होता है इसलिए इसे श्रीफल (Shrifal) कहा गया है. धर्म-पुराणों के मुताबिक नारियल को सबसे पवित्र फल माना गया है क्योंकि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. कहते हैं कि भगवान को नारियल (Coconut) चढ़ाने से भक्त के सारे दुख-दर्द दूर हो जाते हैं.
भगवान को नारियल अर्पित करने के अलावा हर शुभ मौके पर नारियल फोड़ा भी जाता है. प्रसाद में नारियल का उपयोग प्रमुखता से होता है. इसके अलावा कई दिनों तक चलने वाले व्रत का संकल्प भी भगवान को नारियल अर्पित करके लिया जाता है. वहीं पूजा में नारियल फोड़ने का मतलब है कि व्यक्ति ने भगवान के चरणों में खुद को अर्पित कर दिया है. यहां तक कि पुराने समय में दी जाने वाली बलि की परंपरा को तोड़ने के लिए भी उसकी जगह नारियल चढ़ाने की परंपरा शुरू की गई.
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धर्म और ज्योतिष दोनों में नारियल के पेड़ को बहुत शुभ माना गया है. घर में नारियल का पेड़ (Coconut Tree) होना कई वास्तु दोषों का नाश करता है. वहीं नारियल के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) प्रसन्न होते हैं. कुंडली के दोषों को दूर करने के लिए भी नारियल के पेड़ की पूजा करने का सुझाव दिया जाता है.
कहते हैं कि भगवान विष्णु ने जब धरती पर अवतार लिया था तब वे अपने साथ माता लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष और कामधेनु साथ लाए थे. नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष (Kalpavriksha) भी कहा जाता है. इसके अलावा इसे देवी लक्ष्मी का रूप भी माना गया है. जिस घर में नारियल का पेड़ होता है, वहां हमेशा धन-समृद्धि बनी रहती है.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)