Eid al-Adha: आज है बकरीद, जानें क्यों दी जाती है कुर्बानी?
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Eid al-Adha: आज है बकरीद, जानें क्यों दी जाती है कुर्बानी?

अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने के लिए कहा तो हजरत इब्राहिम अपने प्यारे बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए राजी हो गए क्योंकि उन्हें अपना बेटा ही पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्यारा था.

Eid al-Adha: आज है बकरीद, जानें क्यों दी जाती है कुर्बानी?

नई दिल्ली: बकरीद (Bakrid) मुस्लिम धर्म के मुख्य त्यौहारों में से एक है. इसे ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है. आज 1 अगस्त को बकरीद है. आज मुस्लिम धर्म में कुर्बानी देने का दिन है. इस्लाम के मानने वाले बकरीद का त्यौहार लगातार तीन दिन तक धूम-धाम से मनाते हैं, यानी तीन दिन तक कुर्बानी दी जाती है. बकरीद का त्यौहार ईद की नमाज अदा करने के साथ शुरू होता है. इस्लाम के अनुयायी पुरुष ईदगाह और मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं. इसके बाद कुर्बानी दी जाती है.

हालांकि, इस साल कोरोना वायरस (Coronavirus) के चलते लोग अपने घर में ही ईद की नमाज अदा करेंगे. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार धू-अल-हिज्जा की 10 तारीख के दिन बकरीद मनाई जाती है.

बकरीद पर क्यों दी जाती है कुर्बानी
मुस्लिम धर्म में बकरीद या ईद-उल-अजहा का बेहद खास महत्व है. मान्यता है कि एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेना तय किया. उन्होंने हजरत इब्राहिम से उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने के लिए कहा तो हजरत इब्राहिम अपने प्यारे बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए, क्योंकि उन्हें अपना बेटा ही पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्यारा था. फिर जब हजरत इस्माइल को पता चला कि उनके पिता उनकी कुर्बानी देने वाले हैं तो वो भी अपनी आंखें बंद करके तैयार हो गए. इसके बाद जैसे ही हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल की गर्दन पर छुरी चलाई तो एक चमत्कार हो गया. अल्लाह ने उनके बेटे की जगह एक दुंबा (Fat Tailed Sheep) भेज दिया. ऐसे उनके बेटे की जान बच गई और दुंबा कुर्बान हो गया. तब से ही बकरीद के दिन अल्लाह के लिए कुर्बानी देना शुरू हुआ.

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इस्लाम में किन लोगों के लिए कुर्बानी करना है वाजिब
इस्लाम की मान्यताओं के अनुसार कुर्बानी करना हर हैसियतमंद व्यक्ति पर वाजिब है. कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति हैसियतमंद होते हुए भी कुर्बानी नहीं करता है तो वो गुनहगार होता है. इसी वजह से हर साल इस्लाम के मानने वाले लोग अपनी हैसियत के मुताबिक कुर्बानी देते हैं.

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