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नई दिल्ली: जब शनिवार के दिन अमावस्या तिथि पड़ती है तो उसे ही शनि अमावस्या या शनैश्चरी अमावस्या कहा जाता है. आज यानी 13 मार्च को फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की आखिरी अमावस्या तिथि है और चूंकि आज शनिवार है इसलिए इसे फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya) के साथ ही शनि अमावस्या (Shani Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है. साल में आने वाली 12 अमावस्या में शनैश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व होता है. धार्मिक दृष्टिकोण से भी शनि अमावस्या का खास महत्व है क्योंकि यह दिन, शनिदेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने का एक बेहतरीन समय है. ज्योतिष शास्त्र की मानें तो शनि अमावस्या के दिन शनि ग्रह की शांति के उपाय करने से व्यक्ति को शनि ग्रह के शुभ फल प्राप्त होते हैं और शनि की साढ़ेसाती (Shani ki Sadhesati) और शनि ढैया के दुष्प्रभाव से बचने में भी मदद मिलती है.
फाल्गुन अमावस्या तिथि प्रारंभ- 12 मार्च, 2021 को दोपहर 03.04 बजे
फाल्गुन अमावस्या तिथि समाप्त- 13 मार्च, 2021 को दोपहर 03.52 बजे
चूंकि उदया तिथि से किसी भी दिन का मान होता है इसलिए फाल्गुन अमावस्या या शनि अमावस्या 13 मार्च शनिवार को है.
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शनि अमावस्या पर इस बार चार ग्रहों का विशेष योग बन रहा है. सूर्य, चंद्रमा, बुध और शुक्र कुंभ राशि में रहेंगे. कुंभ शनि की राशि है जहां चर्तुग्रही युति का योग बन रहा है. इसके अलावा यह अमावस्या दर्श अमावस्या (Darsh Amavasya) की श्रेणी में आ रही है. इस श्रेणी में अमावस्या सुबह से शाम तक अपनी तिथि के अनुसार गोचर करती है. शनि अमावस्या पर पितृ दोष, काल सर्प दोष, विष योग, अमावस्या दोष, शनि की ढैया साढ़े साती, शनि की महादशा शांति के उपायों के लिए बेहतर है. इन दोषों की शांति के लिए शनि का अभिषेक करना चाहिए.
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जिन राशियों पर शनि का प्रकोप है वे भगवान शनिदेव (Shanidev) का विधि विधान से पूजन करें. शनि अमावस्या के दिन पूजा करने से शनिदेव जल्दी प्रसन्न होते हैं और शनि ग्रह से जुड़ी अशुभता दूर होती है. मौजूदा समय में धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या.
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मंत्र का जाप- शनि अमावस्या पर शनिदेव की पूजा करते समय ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम: मंत्र का जाप करें. यह उपाय शनि दोष को दूर करने में बेहद कारगर माना जाता है. साथ ही शनि स्त्रोठ का पाठ भी करना चाहिए.
शिवजी और हनुमान जी की पूजा- शनि अमावस्या के दिन शनिदेव के साथ ही भगवान शिव और हनुमान जी की भी पूजा करें. ऐसा करने से शनि दोष से छुटकारा मिलता है और सभी तरह की बाधाएं भी दूर होती हैं.
पीपल के पेड़ की पूजा- शनि से जुड़े हर तरह के दोष से छुटकारा पाने के लिए शनि अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर शनिदेव का ध्यान करें और फिर सरसों के तेल का एक दीपक पेड़ की जड़ के पास जलाएं. ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि यह कार्य आपको सूर्यास्त के बाद करना है.
शमी वृक्ष की पूजा- शमी का वृक्ष शनिदेव को प्रिय है इसलिए शमी के वृक्ष की पूजा करने से भी शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और साथ ही में घर का वास्तुदोष भी दूर होता है.
काले तिल का दिन- शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव को काला तिल अर्पित करें और काले तिल का दान भी करें. यह भी शनिदेव की कृपा पाने का एक सरल उपाय है जिससे शनि ग्रह के बुरे प्रभावों से छुटकारा मिलता है.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें)