Gangaur Puja 2024: कब है गणगौर पूजा? नोट करें सही डेट और जानें क्यों पति को बिना बताए रखा जाता है व्रत
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Gangaur Puja 2024: कब है गणगौर पूजा? नोट करें सही डेट और जानें क्यों पति को बिना बताए रखा जाता है व्रत

Gangaur Date 2024: गणगौर शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है गण और गौर. गण का मतलब होता है भगवान शिव और गौर का मतलब होता है गौरी. गणगौर पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है.

Gangaur Puja 2024: कब है गणगौर पूजा? नोट करें सही डेट और जानें क्यों पति को बिना बताए रखा जाता है व्रत

Gangaur 2024 Kab hai: हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर गणगौर पूजा की जाती है. ये पूजा व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए काफी खास माना जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इस व्रत की खास बात ये है कि इस व्रत को पति को बिना बताए किया जाता है. आइए जानते हैं इस साल गणगौर पूजा कब है, क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व.

 

कब है गणगौर पूजा?
वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 10 अप्रैल यानी आज शाम 5 बजकर 32 मिनट पर हो रही है. वहीं, इसका समापन कल यानी 11 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 3 मिनट पर होगा. इसके चलते गणगौर पूजा 11 अप्रैल दिन गुरुवार को की जाएगी. 11 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 24 मिनट तक पूजा करने का शुभ मुहूर्त है.

 

गणगौर पूजा का महत्व
गणगौर शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है गण और गौर. गण का मतलब होता है भगवान शिव और गौर का मतलब होता है गौरी. गणगौर पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है. इस दिन विधि विधान से पूजा करने से महिलाओं को सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है. अवैवाहित महिलाएं भी अच्छे पति के लिए इस व्रत को रख सकती हैं. ये व्रत पति को बिना बताए रखा जाता है. मान्यता है कि पति को बिना बताए व्रत रखने से दांपत्य जीवन सुखी होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

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पूजा विधि
गणगौर व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. इसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें. सुहागिन महिलाएं इस दिन सोलह शृंगार जरूर करें. इसके बाद मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाएं. एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर दोनों मुर्तियों को स्थापित करें. इसके बाद सोलह शृंगार की चीजें, चंदन, रोली अर्पित करें. फिर घी का दीपक जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें. इसके बाद माता पार्वती और भोलेनाथ को उनके प्रिय चीजों का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में बांट दें.

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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