Ramayana Story: वानरों ही नहीं रीछों ने भी मचाया था लंका में जमकर उत्‍पात! भौंचक्‍का रह गया था रावण
Advertisement
trendingNow11196850

Ramayana Story: वानरों ही नहीं रीछों ने भी मचाया था लंका में जमकर उत्‍पात! भौंचक्‍का रह गया था रावण

Ramayana Story of Ram Setu: राम नाम लिखते ही बड़ी-बड़ी चट्टानें समुद्र में आसानी से तैरने लगी थीं और प्रभु राम की महिमा से मीलों दूर तक फैले सागर पर राम सेतु का निर्माण कर लिया गया था, ताकि भगवान राम की सेना लंका पहुंच सके.  लेकिन इस समय एक और रोचक वाकया भी हुआ था. 

फाइल फोटो

Ramayana Story in Hindi: रामेश्वरम की स्थापना के बाद वहां आए हुए श्रेष्ठ मुनिजन अपने अपने आश्रमों को लौट गए. चतुर नल नील ने समुद्र पर मजबूत पुल का निर्माण शुरू किया ताकि सेना सहित लंका पहुंचा जा सके. लोग यह देखकर आश्चर्यचकित हो रहे थे कि जो पत्थर पानी में गिरते ही डूब जाते थे और दूसरों को भी डुबा देते थे, वे जहाज के समान समुद्र के पानी में तैरने लगे. भगवान शंकर ने माता पार्वती को रामकथा सुनाते हुए कहा कि यह न तो समुद्र की महिमा है न ही पत्थरों का विशेष गुण और न ही वानरों की कोई करामात है. यह तो श्री रघुनाथ जी का प्रताप है जो भारी पत्थर भी समुद्र में तैरने लगे. 

समुद्र के सारे जीव आ गए थे प्रभु के दर्शन करने 

नल नील ने आकर श्री राम जी को सूचना दी कि पुल बनकर तैयार हो गया है. जब नव निर्मित सेतु बंध के तट पर खड़े होकर राम जी ने देखा तो उनके मन को यह बहुत ही अच्छा लगा. इधर तट पर खड़े प्रभु का दर्शन करने के लिए जलचरों के समूह ऊपर निकल आए. इन जलचरों में कई एक दूसरे के वैरी भी थे किंतु प्रभु के दर्शन करने के लिए वे आपसी वैर भूल गए और बस एकटक अपने प्रभु को देखते रहे. पुल की मजबूती का अंदाजा कर प्रभु श्री राम ने सेना को आगे बढ़ने का आदेश दिया तो जय श्री राम का घोष करते हुए सब लंका की ओर चल पड़े.   

समुद्र के उस पार पहुंच कर सेना ने डाला डेरा

रामजी की सेना में शामिल वानरों में कुछ ऐसे थे जो उड़ सकते थे, सेतु पर भारी भीड़ को देख कुछ तो उड़ते हुए आगे पहुंचने की होड़ मचाने लगे तो कुछ समुद्र में रहने वाले जीव जंतुओं की पीठ पर चढ़ कर दौड़ते हुए समुद्र पार करने लगे. श्री राम अपने भाई लक्ष्मण जी के साथ यह सारा कौतुक देखते हुए आगे बढ़े और समुद्र पार कर गए. 

रीछों ने किया राक्षसों का बुरा हाल 

समुद्र के उस पार पहुंचने पर डेरा डाला गया और सेना में शामिल रीछों को आदेश दिया गया कि तुम सब आगे बढ़ कर कंद मूल फल आदि खाओ. फिर क्या था रीछ और वानरों के समूह मीठे मीठे फल खाने लगे, वे वृक्षों को हिला रहे थे और पर्वतों के शिखरों को लंका की ओर फेंक रहे थे. घूमते फिरते जहां कहीं भी राक्षस मिल जाते, उन्हें घेर कर जबरन नचाते और दांतों से नाक कान काट कर भगवान की जयकार लगवाने के बाद छोड़ते. घायल राक्षस भाग कर लंका पहुंचे और रावण को समाचार सुनाया.

यह भी पढ़ें: Ramayana Story: प्रभु श्रीराम के इस भक्‍त ने बहाए थे इतने आंसू कि भीग गए थे राम-लक्ष्‍मण! जानें कथा

श्री राम के लंका पहुंचने की सुन हैरान रह गया था लंकेश 

रावण ने जैसे ही यह समाचार सुना तो उसे सहसा विश्वास ही नहीं हुआ, उसने फिर से नाक कान कटे हुए राक्षसों से पूछा क्या राम ने इतने विशाल समुद्र पर पुल बांध दिया. उन राक्षसों ने कहा, हां लंकेश यह सही है, उनके साथ आए वानरों ने ही हमारे नाक कान काट डाले हैं. फिर अपने अंदर के भय को भुलाकर रावण महल में गया जहां मंदोदरी को पहले ही यह समाचार मिल गया था कि श्री राम ने समुद्र पर पुल बना दिया है और अब लंका में समुद्र तट पर आकर डेरा डाल दिया है. मंदोदरी ने रावण का हाथ पकड़ा और अपने महल में लाकर आसन पर बिठा कर आंचल फैला कर कहा, हे प्रियतम, क्रोध न करिए और सीता को वापस कर दीजिए. लेकिन अहंकारी रावण नहीं माना और आखिर में मृत्‍यु को प्राप्‍त हुआ. 

यह भी पढ़ें: Palmistry: किस्‍मत वाले लोगों के हाथ में होती है राहु रेखा, कमाते हैं अकूत धन! आप भी कर लें चेक

Trending news