मान्यता है कि महालक्ष्मी पूजा और व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को असीम सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. 2020 में महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) 10 सितंबर को पड़ रहा है. जानें व्रत का मुहूर्त, पूजन विधि और मंत्र.
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नई दिल्ली: श्राद्ध पक्ष के दौरान पड़ने वाली अष्टमी पर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. आश्विन मास में रखे जाने वाले महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2020) से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. मान्यता है कि महालक्ष्मी पूजा और व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को असीम सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. 2020 में महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat) 10 सितंबर को पड़ रहा है. इस दिन मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा कर उनका आशीर्वाद ग्रहण किया जाएगा.
16 दिनों तक चलता है यह पक्ष
26 अगस्त को भाद्र पद शुक्ल पक्ष के साथ महालक्ष्मी व्रत शुरू हो गया था, जिसका समापन पितृपक्ष (Pitra Paksh) की अष्टमी पर होगा. इसकी शुरुआत को यानी 26 अगस्त 2020 को राधा अष्टमी (Radha Ashtami) के तौर पर मनाया गया था. इस व्रत को गजलक्ष्मी व्रत (Gajalakshmi Vrat) भी कहा जाता है. गजलक्ष्मी व्रत के दिन हाथी की पूजा और महालक्ष्मी के साथ उनके गजलक्ष्मी स्वरूप की पूजा भी की जाती है.
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कब और क्यों रखें महालक्ष्मी व्रत
आमतौर पर महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक चलता है लेकिन किसी के लिए भी महालक्ष्मी के इस व्रत को 16 दिनों तक रख पाना संभव नहीं होता है. ऐसे में व्यक्ति पहले दिन, आठवें दिन और अंतिम दिन महालक्ष्मी व्रत रख सकता है. इस व्रत को करने से धन-संपदा, समृद्धि, ऐश्वर्य, संतान आदि की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से नौकरी या बिजनेस (Business) में भी तरक्की हासिल की जा सकती है.
महालक्ष्मी व्रत पूजा मुहूर्त
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि गुरुवार, 10 सितंबर 2020 की रात्रि 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. ऐसे में महालक्ष्मी व्रत गुरुवार को रखा जाएगा.
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महालक्ष्मी व्रत एवं पूजा विधि
इस विधि से पूजा करने पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर इच्छित फल देती हैं-
1. अष्टमी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर महालक्ष्मी व्रत का विधिपूर्व उद्यापन करें.
2. सबसे पहले दिन हाथ में बांधे गए 16 गांठ वाले रक्षासूत्र को खोलकर नदी या सरोवर में विसर्जित कर दें.
3. पूजा मुहूर्त में महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल, फल, मिठाई, चंदन, पत्र, माला, सफेद कमल या कमल के किसी भी फूल और कमलगट्टा अर्पित कर उनकी पूजा करें.
4. फिर लक्ष्मी जी को सफेद बर्फी या किशमिश का भोग लगाएं. महालक्ष्मी व्रत की कथा सुनें.
5. मंत्र जाप करने के बाद महालक्ष्मी की आरती करें. उसके बाद अपनी मनोकामना प्रकट करें.
6. फिर प्रसाद परिजनों में वितरित कर दें. अंत में विधिपूर्वक माता महालक्ष्मी की प्रतिमा का विसर्जन कर व्रत को पूर्ण करें.
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महालक्ष्मी व्रत में करें ये मंत्रोच्चारण
माता लक्ष्मी के आठ रूप माने गए हैं, आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, विजयालक्ष्मी, संतान लक्ष्मी और विद्या लक्ष्मी. इस व्रत में इन सभी रूपों की पूजा और मंत्रों का जाप किया जाना चाहिए. इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है. जानिए महालक्ष्मी व्रत के दौरान किन मंत्रों (Mahalakshmi Mantra) का जाप करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
श्री लक्ष्मी बीज मंत्र: ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।
श्री लक्ष्मी महामंत्र: ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
ऊं आद्यलक्ष्म्यै नम:
ऊं विद्यालक्ष्म्यै नम:
ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:
ऊं अमृतलक्ष्म्यै नम:
ऊं कामलक्ष्म्यै नम:
ऊं सत्यलक्ष्म्यै नम:
ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:
ऊं योगलक्ष्म्यै नम:
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महालक्ष्मी पूजा में रखें इन बातों का ध्यान
1. महालक्ष्मी व्रत में मां लक्ष्मी के 8 रूपों की पूजा करने के साथ ही महालक्ष्मी मंत्र का जाप करना भी लाभकारी माना जाता है. मान्यता है कि मंत्र का जाप करने से मां लक्ष्मी का साथ हमेशा बना रहता है.
2. माना जाता है कि मां लक्ष्मी की पूजा श्रीयंत्र के बिना अधूरी होती है. महालक्ष्मी व्रत में श्रीयंत्र की पूजा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आ सकता है.
3. मां लक्ष्मी के पूजन में पानी से भरे कलश को पान के पत्तों से सजाने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके साथ ही कलश के ऊपर नारियल रखना भी शुभ माना जाता है.
4. कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. कहते हैं कि महालक्ष्मी व्रत में मां लक्ष्मी को सोने के गहनों से सजाने से भी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
इस दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है.
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