Hindi Motivational Story: एक सेठ मंदिर में जेवरात चढ़ाने मंदिर में पहुंचा. वहां मंदिर की सीढ़ियों पर बैठे भूखे बुजुर्ग ने जब उनसे भोजन की गुहार की तो वह सेठ भड़क गया. इसके बाद सेठ का जो हाल हुआ, उससे उसका पूरा परिवार डर गया.
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Motivational Quotes in Hindi: एक बुजुर्ग आदमी बुखार से ठिठुरता और भूखा प्यासा “शिव मंदिर” के बाहर बैठा था. तभी वहां पर नगर के सेठ अपनी सेठानी के साथ एक बहुत ही लंबी और मंहगी कार से उतरे. उनके पीछे उनके नौकरों की कतार थी. एक नौकर ने फल पकडे़ हुए थे, दूसरे नौकर ने फूल पकडे़ थे, तीसरे नौकर ने हीरे और ज़वाहरात के थाल पकडे़ हुए थे, चौथे नौकर ने पंडित जी को दान देने के लिए मलमल के 3 जोडी़ धोती-कुर्ता पकडे़ हुए थे और पांचवें नौकर ने मिठाईयों के थाल पकडे़ थे.
पंडित जी ने दौड़कर किया सेठ का स्वागत
पंडित जी ने उन्हें आता देखा तो दौड़ के उनके स्वागत के लिए बाहर आ गए. बोले आईये-आईये सेठ जी, आपके यहां पधारने से तो हम धन्य हो गए. सेठ जी ने नौकरों से कहा जाओ तुम सब अदंर जाके थाल रख दो. हम पूजा पाठ संपन्न करने के बाद भगवान शिव को सारी भेंट समर्पित करेंगे. बाहर बैठा बुजुर्ग आदमी ये सब देख रहा था. उसने सेठ जी से कहा मालिक दो दिनों से भूखा हूं थोड़ी मिठाई और फल मुझे भी दे दो खाने को.
सेठ जी ने उसकी बात को अनसुना कर दिया. बुजुर्ग आदमी ने फिर सेठानी से कहा, ओ मेम साहब थोड़ा कुछ खाने को मुझे भी दे दो मुझे भूख से चक्कर आ रहे हैं. सेठानी चिढ़ के बोली बाबा, ये सारी भेटें भगवान को चढाने के लिए हैं. तुम्हें नहीं दे सकते, अभी हम मंदिर के अंदर घुसे भी नहीं हैं और तुमने बीच में ही टोक लगा दी.
सेठ जी बोले हां उसी की टोक लगाने की वजह से भगवान ने हमारी पूजा स्वीकार नहीं की. सेठानी बोली, क्या हो गया है इनके दोनों हाथों को, अचानक से हाथों को लकवा कैसे मार गया. इनके हाथ टेढ़े कैसे हो गए, अब क्या करूं मैं. ऐसा कहकर वह ज़ोर-जो़र से रोने लगी. पंडित जी हाथ जोड़ के सेठ और सेठानी से बोले- माफ करना एक बात बोलूं आप दोनों से?
सेठजी के हाथ अचानक हो गए टेढ़े
भगवान उस बुजुर्ग आदमी से नाराज़ नहीं हुए हैं, बल्कि आप दोनों से रुष्ट होकर भगवान ने आपको टेढ़ा कर दिया है. सेठानी बोली पर हमने क्या किया है? पंडित जी बोले क्या किया है आपने...मैं आपको बताता हूं. आप इतने महंगे उपहार ले के आए भगवान को चढाने के लिये, पर ये आपने नहीं सोचा के हर इंसान के अंदर भगवान बसते हैं.
पंडित जी ने आगे कहा, आप अंदर भगवान की मूर्ति पर भेंट चढ़ाना चाहते थे. पर यहां तो खुद उस बुजुर्ग आदमी के रूप में भगवान आपसे प्रसाद ग्रहण करने आये थे. उसी को अगर आपने खुश होकर कुछ खाने को दे दिया होता तो आपके उपहार भगवान तक खुद ही पहुंच जाते. किसी गरीब को खिलाना तो स्वयं ईश्वर को भोजन कराने के समान होता है. आपने उसका तिरस्कार कर दिया तो फिर ईश्वर आपकी भेंट कैसे स्वीकार कर सकते थे़.
मुट्ठी भर चावल के भूखे थे भगवान कृष्ण
पंडित जी ने कहा, सब जानते हैं कि श्री कृष्ण को सुदामा के प्रेम से चढा़ये एक मुठ्ठी चावल सबसे ज़्यादा प्यारे थे. अरे भगवान जो पूरी दुनिया के स्वामी हैं, जो सबको सब कुछ देने वाले हैं, उन्हें हमारे किमती उपहार क्या करने हैं. वो तो प्यार से चढा़ये एक फूल, प्यार से चढा़ये एक बेल पत्र से ही खुश हो जाते हैं.उन्हें मंहगें फल और मिठाईयां चढा़ के उनके ऊपर एहसान करने की हमें कोई आवश्यकता नहीं है.
इससे अच्छा तो किसी गरीब को कुछ खिला दीजिए, ईश्वर खुद ही खुश होकर आपकी झोली खुशियों से भर देगें. और हां, अगर किसी मांगने वाले को कुछ दे नहीं सकते तो उसका अपमान भी मत कीजिए क्योंकि वो अपनी मर्जी से गरीब नहीं बना है. कहते हैं ना कि ईश्वर की लीला बडी़ न्यारी होती है, वो कब किसी भिखारी को राजा बना दें और कब किसी राजा को भिखारी बना दें कोई नहीं कह सकता.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)