धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, महर्षि कात्यायन ने सालों तक माता की अराधना की थी. कात्यायन की अराधना से प्रसन्न होकर माता ने उन्हें उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वारदान दिया, जिसके बाद माता ने महर्षि के घर जन्म लिया.
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नई दिल्ली : सोमवार (15 अक्टूबर) को नवरात्र का छठा दिन है. नवरात्र के छठे दिन माता के छठे स्वरूप कत्यायनी की पूजा होती है. माता कत्यायनी के स्वरूप को काफी करुणामयी माना जाता. पौराणिक मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा ने कत्यायनी का स्वरूप अपने भक्तों की तपस्या को सफल बनाने के लिए लिया था.
महर्षि कात्यायन की वर्षों की तपस्या का रूप है कत्यायनी
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, महर्षि कात्यायन ने सालों तक माता की अराधना की थी. कात्यायन की अराधना से प्रसन्न होकर माता ने उन्हें उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वारदान दिया, जिसके बाद माता ने महर्षि के घर जन्म लिया. मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है.
ऐसे करें उपासना
नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की उपासना का दिन होता है. मां दुर्गा के इस छठे रूप की अराधना करते हुए इस श्लोक का जाप करें-
'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इस श्लोक का अर्थ है- हे मां! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है.
जिन लड़कियों के विवाह में दिक्कत आ रही हो वो मां कात्यायनी का स्मरण करते हुए इस मंत्र का जाप करें- ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ! नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:। .
वहीं षष्ठी तिथि के दिन पूजा के दौरान प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए. इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है.
इस रंग के पहनें कपड़े
इस दिन अगर लाल रंग पहना जाए तो वो बहुत ही शुभ होगा. यह रंग सफलता, उत्साह, शक्ति, सौभाग्य एवं ताकत को दर्शाता है. जिन लोगो को यह रंग पसंद होता है वे विशाल हृदय के स्वामी, उदार उत्तम वयक्तित्व गुणों वाले होते हैं.