नवरात्रि की अष्टमी तिथि को होगी मां महागौरी की आराधना, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा
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नवरात्रि की अष्टमी तिथि को होगी मां महागौरी की आराधना, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा

मां महागौरी की पूजा करने से भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं जाते. वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है.

(फोटो साभारः Twitter)

नई दिल्ली: नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा होती है. शास्त्रों में अष्टमी पूजन को विशेष महत्व दिया गया है, शास्त्रानुसार नवरात्र अष्टमी पर महागौरी की पूजा अर्चना का विधान है. इनकी उपासना से भक्तों को सभी कलेश दूर होते हैं और उनके पाप भी धुल जाते हैं. मां महागौरी की पूजा करने से मन पवित्र हो जाता है और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां महागौरी के वस्त्र और आभूषण सफेद हैं. इनकी चार भुजाएं हैं. महागौरी का वाहन बैल है. देवी के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है.

मां महागौरी की पूजा करने से भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं जाते. वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है. देवी गौरी शंकर की पत्नी हैं यही शिवा और शाम्भवी के नाम से पूजी जाती हैं. शब्द महागौरी दो शब्दों से मिलकर बना है महा+गौरी, महा का अर्थ है महान (सबसे बड़ी) और गौरी का अर्थ है देवी गौर अर्थात माता गौरी.

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पूजा विधि
सबसे पहले एक चौकी स्थापित करें, इस पर मां महागौरी की तस्वीर रखें. इसके बाद गंगा जल से पूजा घर की शुद्धिकरण करें. चौकी पर कलश स्थापित करें और इसमें नारियल रखें. इसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका, नवगृह की स्थापना करें और व्रत, पूजन का संकल्प लें. माता महागौरी की सप्तशती मंत्रों से पूजा करें. माता को सुगंधित पुष्प, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, फल पान दक्षिणा अर्पित कर आरती करें और पूजन संपन्न होने के बाद माता का प्रसाद वितरित करें.

महागौरी उपासना मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु महागौरी रूपेण संस्थिता। 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। 
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते”।।

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ध्यान मंत्र
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्। 
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

श्वेते वृषे समारुढ़ा, श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरीं शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया।।

महाअष्टमी पूजन शुभ मुहूर्त
5 अक्टूबर- सुबह 09:53 बजे से 6 अक्टूबर सुबह 10:56 बजे तक

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