Maa Kalratri Mahakatha: दैत्य रक्तबीज वरदान के कारण अपने हर एक बूंद से दैत्य सेना बना रहा था. उसके प्रकोप से तीनों लोकों में हाहाकार मचा हुआ था. ऐसे में मां कालरात्रि को अवतरित होना पड़ा.
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Navratri 2022 Maa Kalratri: मां दुर्गा की पूजा व आराधना का पर्व नवरात्रि है. शारदी नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक मां के 9 रूपों की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है. नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना की जाती ह. मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है. मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं. उनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा धारण हैं. मां के तीन नेत्र हैं, केश खुले हुए हैं, गले में मुंड की माला है और वे गर्दभ की सवारी करती हैं. मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं और मन का हर प्रकार का भय नष्ट करती हैं. मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं.
तीनों लोकों में हाहाकार
पौराणिक कथा की बात करें तो एक बार रक्तबीज नाम के राक्षस ने तीनों लोकों पर हाहाकार मचाया हुआ था. हर तरफ उसके अत्याचार से लोग परेशान थे. उसको यह वरदान मिला हुआ था कि उसके खून की एक बूंद भी जमीन पर गिरेगी, उसमें से उसी तरह का एक और दानव पैदा हो जाएगा.
मां कालरात्रि हुईं अवतरित
उससे परेशान होकर सभी देवता भगवान भोलेशंकर के पास पहुंचे. भगवान शिव ने कहा कि सब मिलकर मां पार्वती से अनुरोध करें. इसके बाद सब देवता मिलकर मां पार्वती के पास गए और रक्तबीज से मुक्ति दिलाने का अनुरोध किया. मां पार्वती की शक्ति और तेज से मां कालरात्रि अवतरित हुईं. मां कालरात्रि का रूप बेहद विकराल था. उसके बाद वह रक्तबीज का वध करने के लिए निकल गईं.
रक्तबीज का किया वध
भयानक युद्ध हुआ. रक्तबीज के खून की हर बूंद को जमीन पर गिरने से पहले ही मां पी लेती थी. जब मां ने रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले हर खून की बूंद को जमीन पर गिरने से पहले ही पी लिया और सभी दैत्यों का गला काटकर अपने गले में मुंड की माला पहनने लगी.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)