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नई दिल्ली: महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के त्योहार को शिव और शक्ति के मिलन के पर्व के तौर पर मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) का विवाह हुआ था, इसलिए देशभर में इस दिन शिव की बारात भी निकाली जाती है. उत्तर भारत के हिंदू पंचांग (Panchang) के अनुसार महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत के पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व होता है. हालांकि दोनों पंचांग में चूंकि महीने के नामकरण की परंपरा में अंतर है इसलिए दोनों ही पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि एक ही दिन मनायी जाती है. इस बार महाशिवरात्रि का त्योहार 11 मार्च 2021 गुरुवार को है. महाशिवरात्रि पर इस बार शिव योग और सिद्ध योग- 2 बेहद खास योग भी बन रहे हैं.
महाशिवरात्रि पर विधि विधान के साथ शिव पूजन करने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा (4 Times Puja) का विशेष महत्व है और इसे फलदायी भी माना गया है. 4 पहर की यह पूजा, संध्या के समय प्रदोष काल (Pradosh Kaal) से शुरू होकर अगले दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त तक की जाती है. चूंकि इसे महाशिवरात्रि कहते हैं इसलिए इस दिन रात्रि में जागरण करके अलग-अलग पहर में शिवजी की पूजा का विधान है. भगवान शिव की चार पहर की यह पूजा जीवन के चार अंग- धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष को नियंत्रित करती है.
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प्रथम प्रहर की पूजा का समय- 11 मार्च गुरुवार को शाम में 06:27 बजे से प्रदोष काल में शुरू करके रात में 09:28 बजे तक
दूसरे पहर की पूजा का समय- 11 मार्च गुरुवार को रात में 09:28 बजे से लेकर 12 मार्च की आधी रात को 12:30 बजे तक
तीसरे पहर की पूजा का समय- 12 मार्च की आधी रात को 12:30 बजे से लेकर सुबह 03:32 बजे तक
चौथे पहर की पूजा का समय- 12 मार्च की सुबह 03:32 बजे से लेकर सुबह 06:34 बजे तक
निशिता काल की पूजा का समय- 12 मार्च को रात में 12:06 बजे से लेकर 12:54 बजे तक. कुल 48 मिनट के लिए.