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नई दिल्ली: फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का त्योहार मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिवजी का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था, इसलिए देशभर में कई जगहों पर महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की बारात (Shivji ki Baraat) भी निकाली जाती है और भक्तजन धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर (Lord Shiva) की पूजा और व्रत रखने का भी विशेष महत्व है. वैसे तो शिवजी को भोलेनाथ इसीलिए कहते हैं क्योंकि वह बड़ी जल्दी और आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं. ऐसे में अगर आप भी महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करके, उन्हें प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें शिवलिंग (Shivlinga) पर अर्पित करना मना है. लिहाजा आप पहले से ही इनके बारे में जान लें ताकि महाशिवरात्रि की पूजा के दिन आपसे कोई गलती ना हो.
1. केतकी का फूल- भगवान शिव को वैसे तो कनेर,आक, धतूरा, अपराजिता, चमेली, नाग केसर, गूलर आदि सभी फूल चढ़ाए जाते हैं लेकिन भोलेनाथ को सफेद रंग का फूल विशेष रूप से प्रिय है. लेकिन केतकी का फूल (Ketki Flower) सफेद होने के बावजूद शिवजी की पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए. पौराणिक कथा के अनुसार केतकी के फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में उनका साथ दिया था, जिससे नाराज होकर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप दिया. इस वजह से शिवजी की पूजा में केतकी के फूल का इस्तेमाल वर्जित है.
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2. पूजा में तिल का न करें इस्तेमाल- शिवजी की पूजा में तिल (Sesame Seeds) नहीं चढ़ाया जाता है. इसका कारण ये है कि ऐसी मान्यता है कि तिल, भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ माना जाता है, इसलिए भगवान विष्णु को तिल अर्पित किया जाता है लेकिन शिवजी को नहीं चढ़ाया जाता है.
3. तुलसी का न करें प्रयोग- शिवलिंग पर या फिर शिवजी की पूजा के दौरान कभी भी तुलसी (Tulsi) का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इसका कारण ये है कि तुलसी शापित हैं. जालंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसलिए शिव जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल नहीं होता.
4. शंख से जल न चढ़ाएं- भगवान शिव की पूजा करते समय शिवलिंग पर कभी भी शंख (Shankh) से जल अर्पित नहीं करना चाहिए. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था. शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था. इसलिए शिवजी की पूजा में शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता.
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5. नारियल पानी न चढ़ाएं- शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर नारियल का पानी (Coconut Water)नहीं चढ़ाना चाहिए. शिव प्रतिमा पर नारियल चढ़ा सकते हैं, लेकिन नारियल का पानी नहीं.
- बेल पत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं. लेकिन शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि बेल पत्र के तीनों पत्ते पूरे हों ,टूटे न हों. बेल पत्र का चिकना भाग शिवलिंग से स्पर्श करना चाहिए.
- नील कमल भगवान शिव का प्रिय पुष्प माना गया है. शिवजी को फूल चढ़ाते वक्त ध्यान रहे कि वे ताजे हों, मुरझाए या बासी नहीं.
- शिवजी की पूजा के दौरान जब आप उन्हें चावल चढ़ा रहे हों तो इस बात का ध्यान रखें कि एक भी चावल टूटा हुआ न हो. टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है इसलिए यह शिव जी को नही चढ़ता.
- हल्दी और कुमकुम उत्पत्ति के प्रतीक हैं और उनका संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है इसलिए ये दोनों चीजें भगवान शिव की पूजा में इस्तेमाल नहीं की जाती हैं.
- शिव जी की पूजा के दौरान काले वस्त्र न पहनें.
- ज्योतिर्विद मदन गुप्ता सपाटू