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Papamochini Ekadshi Vrat Katha In Hindi: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. इस दिन व्रत रखने और पूजा-पाठ आदि करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति की प्राप्ति होती है. चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस बाप पापमोचिनी एकादशी 05 अप्रैल के दिन पड़ रही है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पापमोचिनी एकादशी पर भगवान विष्णु संग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि पापमोचिनी एकादशी का पूर्ण फल सिर्फ व्रत करने से ही नहीं व्रत के दौरान कथा का पाठ करने से होती है. जानें पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा.
पापमोचिनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार की बात है. राजा मांधाता ने लोमश ऋषि से गलती से हुए पापों से मुक्ति पाने का आसान रास्ता पूछा. तब लोमश ऋषि ने राजा को पापमोचिनी एकादशी व्रत के बारे में बताया. कथा के मुताबिक एक बार च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी वन में तपस्या कर रहे थे. तभी वहां से एक मंजुघोषा नामक अप्सरा गुजरी. अप्सरा की नजर मेधावी पर पड़ी और वे उन्हें देखकर मोहित हो गईं.
तपस्या कर रहे मेधावी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए मंजुघोषा ने कई प्रयास किए. इस कार्य में सफलता पाने के लिए कामदेव भी सामने आ गए. तब मेधावी मंजुघोषा की ओर आकर्षित हो गए और महादेव की तपस्या करना भूल गए. थोड़ी ही देर के बाद मेधावी को अपनी गलती का अहसास हुआ. इसका दोषी उन्होंने मंजुघोषा को ठहराया और उन्हें पिशाचिनी होने का श्राप दे दिया. मेधावी के इस श्राप से अप्सरा दुखी हो गई.
अप्सरा ने मेधावी से माफी मांगी. तब मेधावी ने अप्सरा को पापमोचिनी एकादशी व्रत के बारे में बताया. मंजुघोषा ने विधिपूर्वक पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया. इसके पुण्य प्रभावों से अप्सरा को सभी पापों से मुक्ति मिल गए और वे दोबारा से अप्सरा बन गई और स्वर्ग वापस चली गई. अप्सरा के बाद मेधावी ने भी पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया और अपने पापों से मुक्ति पा ली.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)