Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचिनी एकादशी पर बन रहे 2 बेहद शुभ योग, जानें पूजा का मुहूर्त और जरूरी नियम
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Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचिनी एकादशी पर बन रहे 2 बेहद शुभ योग, जानें पूजा का मुहूर्त और जरूरी नियम

Papmochani Ekadashi 2024: चैत्र कृष्‍ण एकादशी के दिन पापमोचिनी एकादशी व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करना सारे पाप नष्‍ट करता है. 

Papmochani Ekadashi 2024: पापमोचिनी एकादशी पर बन रहे 2 बेहद शुभ योग, जानें पूजा का मुहूर्त और जरूरी नियम

Papmochani Ekadashi 2024 Shubh Muhurat: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्‍णु को समर्पित है. कुछ एकादशी तिथि तो बहुत खास होती हैं - जैसे पापमोचिनी एकादशी तिथि. चैत्र मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं. इस एकादशी का व्रत रखने और पूजा करने से सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं. इस बार पापमोचिनी एकादशी के दिन कई ऐसे शुभ योग बन रहे हैं जो इस दिन के महत्‍व को और बढ़ा रहे हैं. इन शुभ योगों में एकादशी पर भगवान विष्‍णु की पूजा करना, व्रत रखना जीवन में अपार सुख और समृद्धि दे सकता है. 

पापमोचिनी एकादशी 2024 कब है

पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 अप्रैल की शाम 4 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर 5 अप्रैल की दोपहर 1 बजकर 28 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के आधार पर पापमोचिनी एकादशी व्रत 5 अप्रैल 2024, शुक्रवार को रखा जाएगा. वहीं पापमोचिनी एकादशी व्रत का पारण 6 अप्रैल को सूर्योदय के बाद किया जाएगा. 

पापमोचिनी एकादशी पर शुभ योग 

एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी की पूजा की जाती है. वहीं शुक्रवार का दिन मां लक्ष्‍मी को समर्पित है. ऐसे में पापमोचिनी एकादशी का शुक्रवार के दिन पड़ना भगवान विष्‍णु के साथ-साथ मां लक्ष्‍मी की भी कृपा पाने का सुनहरा मौका है. इसके अलावा 5 अप्रैल पापमोचिनी एकादशी पर साध्य और शुभ योग का निर्माण हो रहा है. साथ ही इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा. इन सभी योगों में एकादशी व्रत रखना, पूजा के बाद दान-पुण्‍य करना अपार लाभ देगा. 

पापमोचिनी एकादशी पूजा विधि, व्रत कथा 

पापमोचनी एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. फिर पीले रंग के कपड़े पहनें. भगवान श्रीहरि का स्‍मरण करते हुए व्रत का संकल्‍प लें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में पूजा करें. भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी की पूजा करें, उन्‍हें फल, फूल, हल्‍दी, रोली, खीर, अक्षत, तुलसी दल आदि अर्पित करें. धूप-दीप करें. साथ ही हरि स्तोत्र का पाठ करें. इस दिन पापमोचिनी एकादशी व्रत की कथा जरूर पढ़ें. साथ ही पूजा के अंत में आरती करना ना भूलें. बिना व्रत कथा और आरती के पूजा पूरी नहीं होती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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