Shri Panchayati Bada Udasin Akhara Prayagraj News: प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ में श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा (प्रयागराज) के संत भी शामिल होने जा रहे हैं. कहते हैं कि इस अखाड़े की स्थापना गुरू नानक के पुत्र श्रीचंद ने की थी.
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When was Shri Panchayati Bada Udasin Akhara Prayagraj established: यूपी के प्रयागराज में अगले साल 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू होगा. जिसमें देश-विदेश से करीब 45 करोड़ लोगों के शामिल होने की संभावना है. इस कुंभ में साधु-संतों के 13 अखाड़े आकर्षण का केंद्र रहेंगे. ये अखाड़े अपने साथ सनातन धर्म की उस सभ्यता-संस्कृति को समेटे हुए हैं, जो हजारों साल बाद आज भी जीवंत है. अपनी अखाड़ों की सीरीज में हम इन सभी अखाड़ों के बारे में एक-एक करके आपको विस्तार से बता रहे हैं. आज हम आपको श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा (प्रयागराज) के बारे में बताने जा रहे हैं.
उदासीन पंथ के 3 अखाड़ों में सबसे बड़ा
श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन असल में उदासीन पंथ के 3 अखाड़ों में से एक है. इसके महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश महाराज के अनुसार, इस अखाड़े के ईष्ट देव श्री श्री 1008 चंद्र ज़ी भगवान और ब्रह्मा जी के चार पुत्र हैं. वे बताते हैं कि उनकी उदासीन परंपरा को यह अखाड़ा मानता है. इस अखाड़े की 1600 शाखाएं हैं, जिनसे देशभर में 35-40 लाख श्रद्धालु जुड़े हुए हैं. महामंडलेश्वर के अनुसार, देश में जिन 4 जगहों पर कुंभ लगता है, वहां पर अखाड़े की 4 प्रमुख शाखाएं हैं, जिन्हें पंगत भी कहा जाता है. इन चारों में अलग-अलग 4 महंत बनाए जाते हैं. उन्हीं में से एक को श्रीमहंत का दर्जा दिया जाता है. वे बाकी महंतों के साथ मिलकर अखाड़े का संचालन करते हैं.
गुरू नानक के बेटे श्रीचंद ने की थी स्थापना
धार्मिक विद्वानों के अनुसार, उदासीन शब्द पंजाबी के उदासियां शब्द का अपभ्रंश है. जिसका अर्थ उत्+आसीन यानी ऊंचा उठा हुआ होता है. श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन का मुख्य आश्रम प्रयागराज में है. इसमें सनातन धर्म के साथ ही सिख पंथ की भी कई शिक्षाएं ली गई हैं. कहते हैं कि इस अखाड़े की स्थापना गुरू नानक के बेटे श्रीचंद ने की थी. बाद में गुरु हरगोविंद के पुत्र बाबा गुरांदित्ता ने इस संप्रदाय को संगठित करने में अहम योगदान दिया. इस संप्रदाय के साधक सनातन धर्म की परंपराओं और सिख पंथ की मर्यादा दोनों का निर्वहन करते हैं.
बनखण्डी निर्वाणदेव जी ने सबको जोड़ा
विक्रम संवत 1825 में माघ शुक्ल पंचमी के दिन हरिद्वार कुंभ में बनखण्डी निर्वाणदेव जी ने उदासीन संप्रदाय से जुड़ी सभी संगतों को इकट्ठा करके कनखल में श्री पंचायती अखाड़ा उदासीन की स्थापना की. इस प्रकार यह अखाड़ा अस्तित्व में आया. कालांतर में इसकी एक और शाखा बनी, जिसे श्री पंचायती छोटा उदासीन अखाड़ा कहा गया. प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा भी शामिल होने जा रहा है. इस महाकुंभ में अखाड़े से जुड़े सभी साधु-संत, महामंडलेश्वर और अनुयायी शामिल होंगे.
प्रयागराज में तैयार किया जा रहा शिविर
बड़ा उदासीन अखाड़े से जुड़े महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश महाराज बताते हैं कि महाकुंभ शुरू होने से पहले सरकार से जमीन मांगी जाती है, जहां पर अस्थाई शिविर बनाया जा सके. प्रयागराज महाकुंभ के लिए भी अखाड़े ने सरकार से जमीन मांगी थी, जो उसे आवंटित कर दी गई है. अब वहां पर शिविर निर्माण का काम चल रहा है. इसके बाद वहां पर इष्टदेवता को स्थापित किया जाएगा. जब यह शिविर तैयार हो जाता है तो किसी छावनी जैसा लगता है.
अखाड़े के सख्त नियमों का करना पड़ता है पालन
उन्होंने बताया कि कुंभ में बिजली, पानी, सुरक्षा, शौचालय जैसी जिम्मेदारी तो सरकार की होती हैं लेकिन शिविर के अंदर सारी व्यवस्था अखाड़े के साधु-संत संभालते हैं. सभी की अपनी जिम्मेदारी होती हैं. इसके साथ ही उन्हें अखाड़े के नियमों का भी पालन करना पड़ता है, जिनमें प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना, दिन में तीन बार गंगा स्नान करने जाना, घास-फूस पर सोना, दिन में बस एक बार भोजन करना, प्रभु के ध्यान में मग्न रहना जैसे नियम शामिल हैं. महामंडलेश्वर बताते हैं कि अखाड़े से जुड़े बहुत सारे अनुयायी भी बड़ी संख्या में महाकुंभ में स्नान करने आएंगे, उनके रहने, खाने-पीने और स्नान में सहयोग जैसी व्यवस्थाएं अखाड़े की ओर से की जा रही हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)