Premanand Maharaj ke Pravachan: वृंदावन के मशहूर कथावाचक प्रेमानंद महाराज के सत्संग में शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. अभी एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें भक्त प्रेमानंद जी से पूछते हैं कि सबसे बड़ा दान क्या है? आइए जानते हैं इस पर महाराज जी ने क्या जवाब दिया.
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Premanand Maharaj Ji: वृंदावन के मशहूर कथावाचक प्रेमानंद महाराज के सत्संग में शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. तमाम बड़ी हस्तियां भी महाराज जी के प्रवचन सुनने के लिए पहुंच चुकी हैं. वह अपने विचारों से लोगों का मार्गदर्शन करते हैं. इसके अलावा प्रेमानंद महाराज ज्यादा से ज्यादा लोगों को अध्यात्म से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
सबसे बड़ा दान क्या है?
प्रेमानंद महाराज के सोशल मीडिया पर भी लाखों की संख्या में फॉलोअर्स हैं. उनके सत्संग के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं जो लोगों को काफी पसंद भी आते हैं. अभी एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें भक्त प्रेमानंद जी से पूछते हैं कि सबसे बड़ा दान क्या है? आइए जानते हैं इस पर महाराज जी ने क्या जवाब दिया.
सांसों का दान
भक्त का जवाब देते हुए प्रेमानंद जी कहते हैं कि हमारा जो दान शब्द है सिर्फ नाम जप के लिए है. अपनी सांसों का दान करना चाहिए, व्यक्ति को एक-एक सांस सुमिरन में लगाना चाहिए. रुपया-पैसों में सबसे बड़ा दान सांसों का होता है. राधा-राधा नाम जप करते रहो को खुद परममंगल हो जाएगा.
धन का दान कैसे करें?
महाराज जी कहते हैं कि अगर कोई धनी है और दान करना ही तो है बड़े-बड़े गौशाला में करो. अपने धन से हरा चारा खरीदो और गाय को खिलादो. इसके बाद प्रेमानंद जी कहते हैं कि अगर पैसों से भगवान खरीदे जाते तो धनियों के घर में भगवान बैठे होते. जब किसी भी मनुष्य ने दैन्य हो कर प्रभु को पुकारा है तब है भगवान किसी को मिले हैं.
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कैसे होती है भगवान की प्राप्ति?
इंसान दान-पुण्य कितना कर सकता है. प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि अगर कोई दान करता है तो उसे वापस लाख का 10 लाख मिल जाएगा लेकिन भगवान की प्राप्ति नहीं होगी. जब जीव की ऐसी अवस्था हो जाती है कि आपके सिवा कोई नहीं है मेरा तब उसे भगवान की प्राप्ति होती है. मनुष्य किसी चीज के लिए योग्य नहीं है, जो भी है सब कुछ भगवान का है. अगर कोई भगवान की वस्तु को अपना मान कर फिर से भगवान को दें तो ये केवल एक भूल है.
दान का सही अर्थ
प्रेमानंद जी के मुताबिक कोई भले ही कोई रिक्शा चलाए लेकिन अपने जीवन में धर्मपूर्वक मेहनत करनी चाहिए. किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना चाहिए. अपनी मेहनत की कमाई से जरूरतमंद को रोटी खिलाना बहुत बड़ी बात है. महाराज जी के मुताबिक दान का तात्पर्य होता है कि प्रभु की वस्तु, प्रभु को समर्पित करना वो भी सही अवसर आने पर. अगर आपके पास धन है तो किसी भूखे, प्यासे, बीमार व्यक्ति को दुख रहित करो.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)