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नई दिल्ली. मंगलवार के दिन रामभक्त हनुमान (Lord Hanuman) की पूजा करने का विशेष महत्व है. माना जाता है कि मंगलवार के दिन पवन पुत्र हनुमान का व्रत रखकर पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं. हनुमान जी का व्रत मंगलवार व्रत कथा (Mangalwar Vrat Katha) को पढ़े बिना अधूरा माना जाता है. इसलिए मंगलवार व्रत कथा (Mangalwar Vrat Katha) जरूर पढ़नी चाहिए.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त मंगलवार को व्रत कथा पढ़ता है, हनुमान जी उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
पौराणिक कथा के अनुसार, ऋषिनगर में केशव दत्त नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी अंजलि के साथ रहता था. वह बहुत धनी था लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी. केशव दत्त और उसकी पत्नी अंजलि मंगलवार को विधि-विधान से व्रत रखते थे. उन्हें मंगलवार का व्रत रखते हुए कई साल बीत गए, उसके बावजूद उनकी संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी नहीं हुई.
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एक बार केशव दत्त हनुमान की जी पूजा करने के लिए जंगल में चला गया. उसकी पत्नी अंजलि घर में रहकर ही हनुमान जी का मंगलवार का व्रत (Tuesday Vrat) रखती थी. एक मंगलवार को अंजलि भूल से हनुमान जी को भोग नहीं लगा पाई और सूर्यास्त के बाद बिना भोजन करे ही सो गई. उसके बाद उसने अगले मंगलवार को भोग लगाने के समय तक भोजन ग्रहण न करने का निश्चय किया और वह अगले मंगलवार का इंतजार करने लगी.
अंजलि ने भूखे-प्यासे 6 दिन बिता लिए लेकिन मंगलवार को व्रत रखने के बाद वह बेहोश हो गई. हनुमान जी ने बेहोशी के दौरान ही अंजलि को दर्शन दिए. हनुमान जी ने कहा- ‘पुत्री, मैं तुम्हारी भक्ति से बेहद प्रसन्न हूं. तुम्हारी मनोकामना पूरी होगी. तुम्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होगी.’
अंजलि ने आंख खुलने पर हनुमान जा को भोग लगाया और भोजन ग्रहण किया. उसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति को पुत्र की प्राप्ति हुई. ब्राह्मण दंपत्ति ने उस बच्चे का नाम मंगल प्रसाद रखा. केशव दत्त के घर लौटने पर पत्नी अंजलि ने उन्हें पूरी बात बताई, लेकिन केशव दत्त को लगा कि उनकी पत्नी उनसे झूठ बोल रही है और उनकी पत्नी अंजलि ने उनके साथ धोखा किया है. इसके बाद केशव दत्त ने बालक की हत्या की साजिश रचनी शुरू कर दी.
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एक दिन केशव दत्त बच्चे को नहलाने के लिए कुएं पर ले गया और कुएं में फेंक दिया. केशव दत्त ने घर आकर पत्नी से कहा कि मंगल प्रसाद तो उसके साथ गया ही नहीं था. तभी मंगल प्रसाद वहां आ गया. उसी रात हनुमान जी ने केशव दत्त को सपने में दर्शन दिए और कहा- ‘यह तुम दोनों का पुत्र है. मैंने तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न होकर यह आशीर्वाद दिया था. इसलिए अपनी पवित्र पत्नी पर शंका न करो.’
केशव दत्त आंख खुलने पर पत्नी के पास गया और उससे क्षमा याचना की और सपने की सारी बात बताई. फिर अपने पुत्र मंगल प्रसाद को गले से लगा लिया. उसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति खुशी-खुशी रहने लगे. इस प्रकार जो कोई भक्त मंगलवार को व्रत रखकर मंगलवार व्रत कथा (Mangalwar Vrat Katha) सुनता है. उस पर हनुमान जी की कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहती है.