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नई दिल्ली: सनातन धर्म (Sanatan Dharm) में देवी-देवताओं की उपासना का विशेष महत्व है. उन्हें उनके सगुण रूप में पूजा जाता है. इसका मतलब है कि हम ज्यादातर देवी-देवताओं के जन्मोत्सव, विवाहोत्सव व अन्य खास दिन जरूर मनाते हैं. इस दौरान उन्हें सजाया-संवारा जाता है, उनके लिए खरीदारी की जाती है और मौसम के हिसाब से उन्हें फल-फूल आदि भी चढ़ाए जाते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें, हर देवी-देवता के अपने कुछ प्रिय फल-फूल और नैवेद्य (Bhagwan Ka Bhog) हैं और भक्त उन्हें वही अर्पित करते हैं.
हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा का महत्व बताया गया है. देशभर में अलग-अलग दिन उनकी आराधना की जाती है. ज्यादातर देवी-देवताओं के लिए अलग वार निश्चित किए गए हैं और उसी के हिसाब से उनका स्मरण किया जाता है. हर दिन के विशेष रंग और मंत्र भी होते हैं. जानिए, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं को भोग (Bhagwan Ka Bhog) में क्या चढ़ाएं.
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भगवान विष्णु (Lord Vishnu Bhog) को खीर या सूजी के हलवे का नैवेद्य बहुत पसंद है. खीर कई प्रकार से बनाई जाती है. भोग की खीर बनाते समय उसमें किशमिश, बारीक कटे हुए बादाम, जरा सी नारियल की कतरन, काजू, पिस्ता, थोड़े से पिसे हुए मखाने, सुगंध के लिए एक इलायची, कुछ केसर और अंत में तुलसी जरूर डालें.
विष्णुजी को भोग लगाने के बाद खीर को प्रसाद के रूप में बांट दें. मान्यता है कि प्रति रविवार और गुरुवार को विष्णु-लक्ष्मी मंदिर में जाकर विष्णुजी को खीर का भोग लगाने से दोनों प्रसन्न होते हैं.
भगवान शिव (Lord Shiv Bhog) को भांग और पंचामृत का नैवेद्य पसंद है. भोले बाबा को दूध, दही, शहद, शक्कर, घी, जलधारा से स्नान कराकर भांग-धतूरा, गंध, चंदन, फूल, रोली और वस्त्र अर्पित किए जाते हैं. शिवजी को रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री भी अर्पित की जाती है. श्रावण मास (सावन) में शिवजी का उपवास रखकर उनको गुड़, चना और चिरौंजी के अलावा दूध अर्पित करने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती हैं.
हनुमान जी (Lord Hanuman Bhog) को हलवा, पंच मेवा, गुड़ से बने लड्डू, डंठल वाला पान और केसर-भात बहुत पसंद हैं. कुछ लोग हनुमान जी को इमरती भी अर्पित करते हैं. अगर कोई व्यक्ति 5 मंगलवार हनुमान जी को चोला चढ़ाकर यह नैवेद्य लगाता है तो उसके हर तरह के संकटों का तुरंत समाधान होता है.
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लक्ष्मी जी (Devi Lakshmi Bhog) को धन की देवी माना गया है. यह तो सभी जानते हैं कि अर्थ के बिना सब व्यर्थ है. लक्ष्मी जी को खुश करने के लिए उनके प्रिय भोग को लक्ष्मी मंदिर में जाकर अर्पित करना चाहिए. लक्ष्मी जी को सफेद और पीले रंग के मिष्ठान्न, केसर-भात बहुत पसंद हैं.
कम से कम 11 शुक्रवार को जो भी व्यक्ति एक लाल फूल अर्पित कर लक्ष्मी जी के मंदिर में उन्हें यह भोग लगाता है, उसके घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है. उस व्यक्ति को किसी भी प्रकार से धन की कमी नहीं रहती है.
माता दुर्गा (Devi Durga Bhog) को शक्ति की देवी माना जाता है. दुर्गा जी को खीर, मालपुए, हलवा, केले और नारियल बहुत पसंद हैं. नवरात्रि के मौके पर उन्हें प्रतिदिन इसका भोग लगाने से हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है. नवरात्रि में काला चना उनके नैवेद्य का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. बुधवार और शुक्रवार के दिन दुर्गा मां को विशेषकर नैवेद्य अर्पित किया जाता है. मां दुर्गा को प्रसन्न कर संकटों से मुक्ति पाई जा सकती है.
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मां सरस्वती (Devi Saraswati Bhog) को ज्ञान की देवी माना गया है. ज्ञान कई तरह का होता है लेकिन अगर किसी को स्मृतिदोष है तो ज्ञान किसी काम का नहीं रहता है. यहां तक कि अगर ज्ञान को व्यक्त करने की क्षमता नहीं है, तब भी ज्ञान किसी काम का नहीं होता है. ज्ञान और योग्यता के बगैर जीवन में उन्नति संभव नहीं हो सकती है. इसलिए मां सरस्वती के प्रति श्रद्धा होना बेहद जरूरी है. मां सरस्वती को दूध, पंचामृत, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू तथा धान का लावा पसंद है.
भगवान श्रीराम (Lord Ram Bhog) को केसर-भात, खीर, धनिए का भोग आदि पसंद हैं. उनको कलाकंद, बर्फी, गुलाब जामुन का भोग भी प्रिय है. आप अपने सामर्थ्य के अनुसार इनमें से कुछ भी चढ़ा सकते हैं.
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गणेशजी (Lord Ganesha Bhog) को मोदक या लड्डू का नैवेद्य अच्छा लगता है. मोदक कई तरह से बनाए जाते हैं. महाराष्ट्र में खासतौर पर गणेश पूजा के अवसर पर घर-घर में तरह-तरह के मोदक बनाए जाते हैं. गणेशजी को मोतीचूर के लड्डू भी बेहद पसंद हैं. उन्हें शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू भी अर्पित किए जा सकते हैं. नारियल, तिल और सूजी के लड्डू भी उनके पसंदीदा नैवेद्य में शामिल हैं.
भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna Bhog) को मक्खन और मिश्री का नैवेद्य बहुत पसंद है। उन्हें माखन चोर भी कहा जाता है. इसके अलावा उन्हें खीर, हलवा और मावा-मिश्री के लड्डू भी अति प्रिय हैं.
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