Kamakhya Temple: योनि कुण्ड की पूजा कर अपनी शक्ति बढ़ाते हैं अघोरी, जानिए इस शक्तिपीठ का रहस्य
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Kamakhya Temple: योनि कुण्ड की पूजा कर अपनी शक्ति बढ़ाते हैं अघोरी, जानिए इस शक्तिपीठ का रहस्य

असम की राजधानी दिसपुर में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां साल में एक बार दुनिया भर के तांत्रिक और अघोरी (Kamakhya Temple History) इकट्ठा होते हैं. कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) के तांत्रिक बुरी शक्तियों को दूर करने में भी सक्षम होते हैं. जानिए कामाख्या देवी से जुड़े रहस्यों ( Kamakhya Yoni Mystery) के बारे में.

कामाख्या देवी मंदिर

न्यू दिल्ली: माता की 51 शक्तिपीठों में सबसे प्रसिद्ध मां कामाख्या (Kamakhya Devi) का पावन धाम तंत्र-मंत्र और साधना के लिए विश्व विख्यात है. ऐसी मान्यता है कि इस सिद्धपीठ पर हर किसी की मनोकामना पूरी होती है. इसीलिए इस मंदिर को कामाख्या कहा जाता है. आपको जान कर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर में देवी की कोई मूर्ति नहीं है. यहां पर देवी के योनि भाग (Kamakhya Yoni Mystery) की ही पूजा की जाती है.

  1. कामाख्या मंदिर में प्रसाद के रूप में लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है
  2. इस मंदिर में कोई देवी प्रतिमा नहीं है
  3. देवी के गर्भ और योनि को गर्भगृह में रखा गया है

कई रोचक तथ्यों से भरे इस शक्तिपीठ में विजय की कामना लिए सभी माथा झुकाते हैं. इस मंदिर में आज भी जानवरों की बलि दी जाती है. इस पावन पीठ पर लगने वाला अम्बुबाची मेला जग प्रसिद्ध है.

तांत्रिक और अघोरी का जमावड़ा 

बता दें कि यहां के तांत्रिक बुरी शक्तियों (Kamakhya Temple History) को दूर करने में भी सक्षम होते हैं. गौरतलब है कि असम की राजधानी दिसपुर में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां साल में एक बार दुनिया भर के तांत्रिक और अघोरी इकट्ठा होते हैं. दिसपुर से बस 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नीलांचल पर्वत पर मां भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ है. यह मंदिर सती के 51 शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है. यहीं पर भगवती की महामुद्रा (योनि कुण्ड) स्थित है.

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खास है यहां की मान्यता

ऐसी मान्यता है कि देवी सती (Kamakhya Temple History) के पिता दक्ष द्वारा किए गए महान यज्ञ में भगवान शंकर यानी सती के पति ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया. इस बात पर दोनों में बहस हुई और देवी सती अकेली उस यज्ञ में चली गई थीं. वहां उनके पिता दक्ष प्रजापति ने शिव का घोर अपमान किया. इस अपमान को देवी सती सहन नहीं कर पाई और यज्ञ के हवन कुंड में ही कूदकर उन्होंने अपना जीवन समाप्त कर दिया.

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इस बात को जानने के बाद शिव बहुत ज्यादा क्रोधित हुए और उस स्थान पर पहुंचे, जहां यज्ञ हो रहा था. उन्होंने सती के मृत शरीर को निकालकर अपने कंधे पर रखा और अपना विकराल रूप लेते हुए तांडव शुरू कर दिया. भगवान शंकर के क्रोध को देखते हुए भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र छोड़ा, जिससे देवी का शरीर कई टुकड़ों में बंट कर अलग-अलग स्थानों पर गिर गया, जिन्हें देवी के 51 शक्ति पीठ (Shaktipeeth In India) के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में देवी सती का गर्भ और योनि गिरा था.

कामाख्या नाम की वजह

इस मंदिर का नाम कामाख्या (Kamakhya Temple History) होने के पीछे भी एक मान्यता है. कहते हैं कि एक श्राप के चलते काम देव ने अपना पौरुष खो दिया था, जिन्हें बाद में देवी शक्ति के जननांगों और गर्भ से ही इस श्राप से मुक्ति मिली. तब से इस मंदिर का नाम कामाख्या देवी (Kamakhya Devi) रखा गया और उसकी पूजा शुरू हुई.

कुछ लोगों का तर्क है कि यह वही स्थान है, जहां देवी सती और भगवान शंकर के बीच प्रेम हुआ था. संस्कृत भाषा में प्रेम को काम कहते हैं इसलिए इस मंदिर का नाम कामाख्या देवी रखा गया. यहां देवी के गर्भ और योनि को मंदिर के गर्भगृह में रखा गया है, जिसमें जून के महीने में रक्त का प्रवाह होता है.

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हैरान रह जाते हैं भक्त

आप जान कर हैरान रह जाएंगे कि जून महीने के दौरान देवी अपने मासिक चक्र में होती हैं और इस दौरान यहां स्थित ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है. इस दौरान यह मंदिर 3 दिन बंद रहता है. मंदिर (Kamakhya Temple History) से निकलने वाले इस लाल पानी को यहां आने वाले भक्तों के बीच बांटा जाता है. लेकिन इस स्थान की एक दिलचस्प बात यह भी है कि यहां इस बात का कोई पौराणिक या ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि देवी के रक्त से ही नदी लाल होती है.

यहां रक्त के संबंध में कुछ लोग यह भी कहते हैं कि इस समय नदी में मंदिर के पुजारी सिंदूर डाल देते हैं, जिससे यहां का पानी लाल हो जाता है.

प्रसाद में मिलता है लाल कपड़ा

इस मंदिर की मान्यता की तरह इस मंदिर का प्रसाद भी दूसरे शक्तिपीठों से बिल्कुल अलग है. यहां प्रसाद के रूप में लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है. कहा जाता है कि जब मां को तीन दिन का रजस्वला होता है तो सफेद रंग का कपड़ा मंदिर के अंदर बिछा दिया जाता है. तीन दिन बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं, तब वह वस्त्र माता के रज से लाल रंग से भीगा होता है. इस कपड़े को अम्बुवाची वस्त्र कहते हैं. इसे ही भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है.

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जानवरों की बलि

इस मंदिर में कोई देवी प्रतिमा (Kamakhya Yoni Mystery) नहीं है. इस जगह पर एक चट्टान के बीच बना विभाजन देवी की योनि को दर्शाता है. एक प्राकृतिक झरने के कारण यह जगह हमेशा गीला रहता है. इस झरने के जल को काफी प्रभावकारी और शक्तिशाली माना जाता है. कहते हैं कि इस जल के नियमित सेवन से आप किसी भी भयानक बीमारी से निजात पा सकते हैं. इस मंदिर में पशुओं की बलि दी जाती है. हालांकि यहां किसी मादा जानवर की बलि नहीं दी जाती है.

तंत्र साधना के लिए मशहूर है मंदिर

तंत्र साधना के लिए यह दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण जगह मानी जाती है. इस मंदिर में साधु और अघोरियों का तांता लगा रहता है. यहां पर काला जादू भी किया जाता है. अगर किसी पर काला जादू किया गया है तो वह यहां आकर इस समस्या से निजात भी पा सकता है. कामाख्या के तांत्रिक और साधु चमत्कार करने में माहिर हैं.

कई लोग विवाह, बच्चे, धन और दूसरी इच्छाओं की पूर्ति के लिए कामाख्या की तीर्थयात्रा पर जाते हैं. कहते हैं कि यहां के तांत्रिक बुरी शक्तियों को दूर करने में भी समर्थ होते हैं. 

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