मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र में मृत्यु को भी टालने की शक्ति है.
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नई दिल्ली: कलयुग के इस कोरोना काल में जब पूरे विश्व के लोगों की सेहत पर खतरा बना हुआ है, उसमें भगवान शिव की कृपा से निरोगी बने रहने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप अत्यंत शुभ फल देने वाला है. मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र में मृत्यु को भी टालने की शक्ति है. इस महामंत्र का पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करने पर मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव से अमरता का वरदान मिला. यदि किसी के घर में कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा बीमार हो या फिर मृत्यु के करीब हो तो भगवान शिव के इस मंत्र का जाप उसे कष्टों से मुक्ति दिलाने में वरदान साबित हो सकता है. लोग इसे मृत संजीवनी के नाम से भी पुकारते हैं. शिव का यह महामंत्र ग्रहों के अनिष्ट, दुर्घटना, बीमारी आदि से बचाने वाला है. संकट काल में इसका श्रद्धा के साथ जाप करने पर भगवान शिव की अवश्य कृपा प्राप्त होती है. चूंकि प्रत्येक देवी-देवता के मंत्र जप के लिए एक माला सुनिश्चित है. ऐसे में भगवान शिव का जप हमेशा रुद्राक्ष की माला से करें.
क्या होता है मंत्र जाप-
किसी मंत्र या फिर किसी देवता का श्रद्धा के साथ बार-बार नाम लेना जप कहलाता है. विधि-विधान से एक निश्चित समय पर किए जाने वाले जप से साधक को अपने आराध्य से शीघ्र ही आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी मनोकामना पूरी होती है. मान्यता है कि विधि-विधान से लगातार किए जाने वाले जप से साधक को देवी-देवताओं की शक्तियां प्राप्त होने लगती हैं.
महामृत्युंजय मंत्र की कथा-
पौराणिक काल में मृकण्डु मुनि के कोई संतान नहीं थी. जिसके लिए वे और उनकी पत्नी ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की. जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन देकर वर मांगने को कहा. इस उन्होंने एक सुयोग्य पुत्र की मांग की. भगवान शिव ने कहा यदि तुम्हें गुणवान, तेजस्वी, ज्ञानी पुत्र की अभिलाषा है तो उसकी आयु मात्र 16 वर्ष की रहेगी. लेकिन यदि तुम्हे 100 वर्ष की आयु वाला पुत्र चाहिए तो वह अज्ञानी और अयोग्य रहेगा. ऐसे में मृकण्डु मुनि और उनकी पत्नी ने योग्य पुत्र का आशीर्वाद मांगा. जिसके बाद उनके यहां पुत्र हुआ जिसका नाम मार्कण्डेय रखा गया.
जब मार्कण्डेय की उम्र 16 वर्ष पूरे होने को आई तो उनके माता-पिता बहुत दु:खी रहने लगे. जिसे जानने के बाद मार्कण्डेय ने भगवान शिव की आराधना करके खुद को अमर करने का प्रण किया और शिव की आराधना में जुट गए. सोलहवें वर्ष के अंतिम दिन यमराज जब उन्हें लेने आए तो मार्कण्डेय भगवान शिव के मंत्र का जाप कर रहे थे. उन्होंने यमराज से कुछ देर रुकने को कहा लेकिन यमराज नहीं माने और उन्हें जबरदस्ती ले जाने लगे. इस पर मार्कण्डेय ने अपना मंत्र जाप जारी रखा. यह देखकर भगवान शिव को गुस्सा आया और वो क्रोधित होकर यमराज के सामने प्रकट हुए. भगवान शिव का गुस्सा देखकर यमराज ने ना सिर्फ मार्कण्डेय को छोड़ दिया बल्कि मार्कण्डेय को अमरता का वरदान भी दिया. इसके बाद भगवान शिव ने भी मार्कण्डेय को अमरत्व का आशीर्वाद देकर चले गए.
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जाप करने से पहले जान लें नियम-
- महामृत्युंजय मंत्र जप किसी एकांत स्थान में या फिर शिवालय में हमेशा शांत मन और शुद्ध उच्चारण करते हुए करें.
- ध्यान रहे मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए.
- इस कोरोना काल में बाहर जाने की बजाय आप घर में एक स्थान सुनिश्चित कर लें और उसकी पवित्रता हमेशा बनाए रखें.
- मंत्र जप करते समय भगवान शिव की फोटो, प्रतिमा या शिवलिंग सामने रखें.
- भगवान शिव के महामंत्र का जाप किसी आसन पर ही बैठकर रुद्राक्ष की माला से एक निश्चित संख्या में करें.
- जिस रुद्राक्ष की माला से भगवान शिव के मंत्र का जाप करें, उसे अपने गले में धारण न करें.