इसी दिन कुंभ के पहले तीर्थाकर ऋषभ देव ने अपनी लंबी तपस्या का मौन व्रत तोड़ा था और संगम के पवित्र जल में स्नान किया था.
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नई दिल्ली: माघ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी या माघी अमावस्या कहते हैं. साल 2019 में मौनी अमावस्या 4 फरवरी को है. कुंभ मेले में दूसरा शाही स्नान माघ मौनी अमावस्या के दिन किया जाता है. हिंदू धर्म में ये मान्यता है कि इसी दिन कुंभ के पहले तीर्थाकर ऋषभ देव ने अपनी लंबी तपस्या का मौन व्रत तोड़ा था और संगम के पवित्र जल में स्नान किया था. इस बार मौनी अमावस्या श्रवण नक्षत्र में है, जिस वजह से इस दिन खास योग बन रहे है.
40 घाट किए तैयार
दूसरे शाही स्नान को देखते हुए योगी सरकार भी सजक है. पहले शाही स्नान पर श्रद्धालुओं को देखते हुए दूसरे शाही स्नान पर घाटों की संख्या को बढ़ा दिया है. दूसरे शाही स्नान में करीब 40 घाट होंगे. संगम नोज पर स्नान के लिए छह किलोमीटर का घाट तैयार कराया गया है.
मौन रहकर रखना होता है व्रत
हिंदू धर्म के मुताबिक, माघ अमावस्या के दिन भगवान मनु का जन्म हुआ था. मौनी अमावस्या जैसे की नाम से ही स्पष्ट होता है, इस दिन मौन रहकर व्रत रखना चाहिए.
स्नान और तर्पण से मिला है पुण्य
इस दिन पवित्र जलाशय, नदियों में स्नान व पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति और कई गुना पुण्य मिलता है. मौन व्रत रखने से वाक्य सिद्धि की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या को गूंगी अमावस्या भी कहा जाता है. कुछ लोग स्नान से पहले मौन रहते हैं, तो कुछ व्रत रखकर मौन रहते हैं. इस दिन सूर्य नारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है. साथ ही सारी बीमारी और पाप दूर हो जाते हैं.
भगवान शिव-विष्णु की करें पूजा
मान्यता है कि इसलिए किसी पवित्र जल से स्नान करने से बहुत लाभ मिलता है. जिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य पति का सुख और पति की दीर्घायु चाहिए और संतान की तरक्की या संतान का विवाह चाहते हैं, उन्हें यह व्रत रखना चाहिए और पवित्र जल से स्नान कर दान करना चाहिए. भगवान शिव और भागवना विष्णु की पूजा एक साथ करनी चाहिए. सोमवार का स्वामी चंद्रमा होता है और चंद्रमा जल का कारक है.