Sita Haran: माता सीता की अग्नि परीक्षा को लेकर लोगों के कई तरह के मत हैं, लेकिन इससे जुड़ी एक बड़ी सच्चाई कम ही लोग जानते हैं. साथ ही यह भी कि वनवास पर असली सीता जी गईं ही नहीं थीं.
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Sita Ji ki Agni Pariksha: रामायण कथा अधिकांश लोगों ने सुनी होगी. इसमें राम-सीता विवाह, सीता-हरण, राम-रावण युद्ध और सीता माता की अग्नि परीक्षा जैसी अहम घटनाओं के बारे में तो शायद ही कोई ऐसी होगा जो ना जानता हो. आज राम-सीता वनवास, सीता हरण और सीता जी की अग्नि परीक्षा से जुड़े वो रहस्य जानते हैं, जिनसे ज्यादातर लोग अनजान हैं.
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राम के साथ वनवास पर गई थी सीता जी की छवि
पौराणिक कथाओं के अनुसार रामायण में एक नहीं बल्कि दो सीता थीं. दरअसल, जब प्रभु राम ने देखा कि पत्नी सीता उनके साथ वनवास पर जाने का निर्णय ले चुकी हैं, तब उन्होंने सीता जी की रक्षा के लिए उन्हें अग्नि देव को सौंप दिया. सीता जी अग्नि में समा गईं और फिर अग्नि से ही उनकी छवि या माया की सीता प्रकट हुईं. सीता जी की यही छवि प्रभु राम के साथ 14 साल के लिए वनवास पर गई. इस तरह लंकापति रावण ने सीता का हरण तो किया लेकिन वह सीता जी की छवि ही अपने साथ ले जा पाया.
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...वरना भस्म हो जाता रावण
माता सीता की छवि ही वनवास पर गई थी, इसका सुबूत इस घटना से मिलता है कि जब जब रावण ने बलपूर्वक सीता को पकड़ कर रथ में बिठाया तो सीता के पतिव्रत धर्म के मुताबिक रावण को जल कर भस्म हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि रावण द्वारा जिस सीता का हरण किया गया था वो असली सीता नहीं बल्कि उनका प्रतिबिंब थी.
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2 बार अग्नि परीक्षा
जब रावण का वध करके प्रभु राम, भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता संग वापस लौटे तो एक प्रजाजन के कहने पर भगवान् श्री राम ने माता सीता को अग्नि परीक्षा के लिए कहा. इस पर सीता ने अग्नि परीक्षा दी. लेकिन इससे लक्ष्मण बेहद नाराज हो गए. तब प्रभु राम ने लक्ष्मण को बताया कि सीता के लिए यह अग्नि परीक्षा देना जरूरी था, ताकि सीता जी का प्रतिबिंब वापस अग्नि में चला जाए और असली सीता वापस आ सकें. सही वजह थी कि सीता माता को एक नहीं दो बार अग्नि से गुजरना पड़ा था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)