ज्योतिष के अनुसार आपके जीवन पर इस सूर्य ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ेगा, ये जान लेना जरूरी है.
Trending Photos
नई दिल्ली: साल का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण 21 जून को है. अध्यात्म विज्ञान के हिसाब से सूर्य ग्रहण का प्रभाव मानव, जीव-जंतु, वनस्पति, नदी, सागर सभी पर पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार आपके जीवन पर इस सूर्य ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ेगा, ये जान लेना जरूरी है. जयपुर के ज्योतिषाचार्य सुधाकर पुरोहित का मानना है कि ये सूर्य ग्रहण ऐसा है जिससे डरना चाहिए.
सुधाकर पुरोहित ने कहा कि 21 जून को कंकण सूर्य ग्रहण (Rings of Fire Eclipse) है. ग्रहण आकाशीय घटनाओं में सबसे विलक्षण और दुर्लभ घटना मानी जाती है. ग्रहण में भी सूर्य ग्रहण का प्रभाव अत्यधिक गहरा है. वैदिक काल से ही यह मान्यता रही है कि सूर्य ग्रहण पृथ्वी वासियों के लिए किसी चेतावनी का संकेत है, हालांकि आज का विज्ञान इस पर पूर्ण रूप से सहमत नहीं है, लेकिन अनेक वैज्ञानिकों ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि ग्रहण के आसपास ऐसी प्राकृतिक घटनाएं अधिक घटती हैं, जिससे जीव, जंतु और मानव में भय व्याप्त होता है. 21 जून 2020 को कंकण सूर्य ग्रहण जिसे चूड़ामणि सूर्य ग्रहण भी कहा जाता है, घटित होगा. यह ग्रहण भारतीय स्टैंडर्ड समय के अनुसार सुबह 9:16 बजे से दोपहर 03:04 बजे तक घटित होगा और तड़के 9:55 बजे से दोपहर 2:35 बजे तक अलग-अलग समय पर भारत में दिखाई देगा. इस ग्रहण की कंकणाकृति राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड के उत्तरी भाग तथा पंजाब के दक्षिणी भाग के कुछ हिस्सों में दिखाई देगी. भारत के 23 राज्यों में यह ग्रहण खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा. भारत के अतिरिक्त यह ग्रहण अफ्रीका, पूर्वी-दक्षिणी यूरोप, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया एवं मध्य-पूर्वी एशिया के समस्त देशों में दिखाई देगा.
सुधाकर पुरोहित ने बताया कि दो अपशकुन घटित होंगे. पहला यह है कि ग्रहण अयन परिवर्तन के दिन घटित हो रहा है, जब सूर्य का दक्षिणायन प्रारंभ होने जा रहा है अर्थात सूर्य देव सायं कर्क राशि में प्रवेश करते ही ग्रहण योग बनाएंगे. यह घटना एक चेतावनी देने वाली है. दूसरा अपशकुन धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ है. जब सूर्य देव आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो पृथ्वी रजस्वला होती है और कामाख्या शक्तिपीठ, गुवाहाटी में तीन दिवसीय अम्बुवासी उत्सव प्रारम्भ होता है. 21 जून को रात्रि 11:28 बजे सूर्य देव ग्रहण के मोक्ष के पश्चात आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. ऐसी घटनाओं का दुर्लभ संयोग सूर्य ग्रहण के साथ बहुत कम देखने को मिलता है. यह संयोग पहले से ही कोविड-19 वैश्विक महामारी से त्रस्त मानव जाति के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता.
व्यक्तिगत तौर पर देखें तो यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र और मिथुन राशि में घटित होगा. मिथुन राशि के साथ-साथ कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए भी परेशानी वाला रह सकता है. इन राशि वालों को सावधानी बरतने की जरूरत है.
ये भी देखें-
इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल 20 जून, 2020 को रात्रि में 09:55 बजे से शुरू हो जाएगा, जो ग्रहण के मोक्ष काल यानी ग्रहण पूर्ण होने तक लागू रहेगा. सूतक काल प्रारम्भ होने के बाद बच्चों, बुजुर्गों और रोगियों के अतिरिक्त अन्य को भोजन करना निषिद्ध माना जाता है. यह एक धार्मिक मान्यता है. इसके अतिरिक्त ग्रहण के समय निद्रा, नहाना, विभिन्न लैप आदि का शरीर पर प्रयोग करना, पके हुए अन्न का भक्षण, सब्जी-फल या अन्य वस्तु का काटना अथवा सेवन करना निषिद्ध है. तरल वस्तु अथवा रसदार वस्तुओं में सूतक काल के समय शुद्धता के लिए कुशा रखी जाती है.
यह सूर्य ग्रहण रविवार के दिन घटित होने के कारण चूड़ामणि संज्ञक है. शास्त्रों में चूड़ामणि ग्रहण के पुण्यकाल में स्नान, दान और जप इत्यादि का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन ग्रहण के पुण्यकाल अर्थात पूर्ण होने के बाद पवित्र तीर्थों पर जाकर स्नान करना और दान करना शुभ होता है.