सोमवती अमावस्या की पौराणिक कथा के मुताबिक एक व्यक्ति के सात बेटे और एक बेटी थी. उसने अपने सभी बेटों की शादी कर दी लेकिन, बेटी की शादी नहीं हुई.
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नई दिल्ली : आज यानि की 3 जून को सारे देश में सोमवती अवस्या और शनि जंयती मनाई जा रही है. सोमवती अवस्या को कुछ स्थानों पर वट सावित्री का व्रत भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, इस बार शनि जंयती और सोमवती अवस्या एक साथ पड़ने के कारण यह व्रत काफी खास हो गया है. इसके साथ ही एक में दिन तीन शुभ आयोजन होने के चलते इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है.
149 साल बाद बन रहा है यह योग
ऐसा संयोग 149 वर्ष बाद बनने जा रहा है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, ऐसा संयोग पहली बार 30 मई 1870 को पड़ा था. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, इस बार अवस्या 2 जून को शाम 4 बजकर 39 मिनट से शुरू होगा 3 जून को दोपहर 3 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी. सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान व दान करना शुभ माना जाता है.
सोमवती अमावस्या की व्रत कथा
सोमवती अमावस्या की पौराणिक कथा के मुताबिक एक व्यक्ति के सात बेटे और एक बेटी थी. उसने अपने सभी बेटों की शादी कर दी लेकिन, बेटी की शादी नहीं हुई. एक भिक्षु रोज उनके घर भिक्षा मांगने आते थे. वह उस व्यक्ति की बहूओं को सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद तो देता था लेकिन उसने उसकी बेटी को शादी का आशीर्वाद कभी नहीं दिया. बेटी ने अपनी मां से यह बात कही तो मां ने इस बारे में भिक्षु से पूछा, लेकिन वह बिना कुछ कहे वहां से चला गया. इसके बाद लड़की की मां ने एक पंडित से अपनी बेटी की कुंडली दिखाई. पंडित ने कहा कि लड़की के भाग्य में विधवा बनना लिखा है.
मां ने परेशान होकर उपाय पूछा तो उसने कहा कि लड़की सिंघल द्वीप जाकर वहां रहने वाली एक धोबिन से सिंदूर लेकर माथे पर लगाकर सोमवती अमावस्या का उपवास करे तो यह अशुभ योग दूर हो सकता है. इसके बाद मां के कहने पर छोटा बेटा अपनी बहन के साथ सिंघल द्वीप के लिए रवाना हो गया. रास्ते में समुद्र देख दोनों चिंतित होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गए. उस पेड़ पर एक गिद्ध का घोंसला था. मादा गिद्ध जब भी बच्चे को जन्म देती थी, एक सांप उसे खा जाता था. उस दिन नर और मादा गिद्ध बाहर थे और बच्चे घोसले में अकेले थे. इस बीच सांप अाया तो गिद्ध के बच्चे चिल्लाने लगे. यह देख पेड़ के नीचे बैठी साहूकार की बेटी ने सांप को मार डाला. जब गिद्ध और उसकी पत्नी लौटे, तो अपने बच्चों को जीवित देखकर बहुत खुश हुए और लड़की को धोबिन के घर जाने में मदद की. लड़की ने कई महीनों तक चुपचाप धोबिन महिला की सेवा की. लड़की की सेवा से खुश होकर धोबिन ने लड़की के माथे पर सिंदूर लगाया. इसके बाद रास्ते में उसने एक पीपल के पेड़ के चारों ओर घूमकर परिक्रमा की और पानी पिया. उसने पीपल के पेड़ की पूजा की और सोमवती अमावस्या का उपवास रखा. इस प्रकार उसके अशुभ योग का निवारण हो गया.
सोमवती अमावस्या के दिन करें यह उपाय...
– सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है.
– इसके बाद क्षमता के अनुसार दान किया जाता है.
– सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान का विशेष महत्त्व है.
– इस दिन मौन भी रखते हैं, इस कारण इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है.
– माना जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन मौन रहने के साथ ही स्नान और दान करने से हजार गायों के दान करने के समान फल मिलता है.