बेहद शुभ फल देता है तुलसी विवाह, जानिए कब से शुरू होंगे मंगल कार्य
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बेहद शुभ फल देता है तुलसी विवाह, जानिए कब से शुरू होंगे मंगल कार्य

कार्तिक मास में एकादशी (Ekadashi) के दिन तुलसी जी का विवाह (Tulsi Vivah) शालिग्राम के साथ धूमधाम से किया जाता है. इस दिन से ही देशभर में मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है.

तुलसी विवाह

नई दिल्ली. शास्त्रों में कार्तिक मास को सबसे पवित्र माना गया है. कार्तिक मास में ही धनतेरस (Dhanteras), दिवाली (Diwali), छठ (Chhath) और तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) जैसे पवित्र पर्व मनाए जाते हैं. मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में जो भी लोग नियमानुसार तुलसी जी की पूजा-अर्चना करते हैं, उन पर भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि हमेशा बनी रहती है.

  1. कार्तिक मास में एकादशी के दिन तुलसी विवाह होता है
  2. भगवान विष्णु के रूप शालिग्राम से होता है विवाह
  3. इस साल 26 नवंबर को है तुलसी विवाह

मान्यता है कि इस पवित्र मास में भगवान श्री हरि को तुलसी चढ़ाने का फल गोदान के फल से भी कई गुना अधिक प्राप्त होता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम के साथ धूमधाम से किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं. तुलसी विवाह को काफी शुभ माना गया है,

इस साल 26 नवंबर यानी गुरुवार को तुलसी विवाह किया जाएगा. इसके बाद से देशभर में मंगल कार्यों की शुरुआत हो जाएगी.

तुलसी जी को मिला भगवान विष्णु का वरदान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घर में तुलसी का होना बेहद शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का वास होता है, वहां कभी भी यमदूत प्रवेश नहीं करते हैं. तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के दूसरे रूप शालिग्राम (Shaligram) के साथ किया जाता है. कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने एक बार प्रसन्न होकर तुलसी को वरदान दिया था कि मुझे शालिग्राम के नाम से भी जाना जाएगा और जो भी उनका विवाह तुलसी के साथ कराएगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.

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तुलसी विवाह पर भगवान विष्णु की पूजा का बहुत महत्व है. शालिग्राम और तुलसी का विवाह कराने से व्यक्ति को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

इस तरह करें तुलसी पूजा
शास्त्रों के अनुसार, तुलसी मां के चारों तरफ स्तंभ बनाने चाहिए. इन स्तंभों को तोरण से सजाना शुभ माना जाता है. साथ ही इन पर स्वास्तिक का शुभ चिन्ह भी बनाएं क्योंकि स्वास्तिक को भगवान गणेश का रूप माना गया है. इसके बाद वहां एक रंगोली बनाएं और कमल के साथ ही शंख चक्र व गाय के पैर का चिन्ह बनाकर सर्वांग पूजा करनी चाहिए.

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उसके बाद तुलसी मां को धूप, दीप, रोली, सिंदूर, चंदन व वस्त्र अर्पित करें. फिर तुलसी मां के चारों तरफ दीप और धूप जलाएं और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें.

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